उदयपुर. जानलेवा गुलनबारी सिन्ड्रोम विद बल्बर पाल्सी बीमारी से ग्रस्तन तीन मासूमों की शहर के निजी हॉस्पिटल में शिशु रोग विभाग की पीआईसीयू में 8, 12 व 14 वर्षीय तीन मासूमों की जान बच गई।
उपचार में शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र सरीन व उनकी पूरी टीम में डॉ. गौरव आमेटा, डॉ राजेश जैन व डॉ. राजीव शामिल थे। डॉ सरीन ने बताया कि नीमच व प्रतापगढ़ निवासी तीनों रोगी निकिता शर्मा (14), आयुष सेन (12) व पीयूष धाकड़ (8) हाथों-पैरों के पेरेलिसिस से परेशान थे। इनकी सारी मांसपेशियां शिथिल पड़ी थी। सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी। उपचार के दौरान इन्हें वेंटिलेटर का सहारा दिया गया। एंटीवायरस के इंजेक्शन दिए गए ताकि बीमारी का प्रभाव कम हो, आईवी फ्लड्स दिए गए ताकि शरीर में मिनरल्स व पानी उपयुक्त मात्रा में पहुंचे। नियमित मसल्स चार्टिंग की गई जिससे पता चला कि उनमें कितना सुधार हो रहा है। लगभग 10 दिन बाद उन्हें वेंटिलेटर से हटाया गया। उपचार के बाद अब बच्चों की आवाज़ में सुधार आया है एवं उनकी मांसपेशियों में फिर से शक्ति आ रही है, उन्हें पौष्टिक आहार दिया जा रहा है ताकि इम्युनिटी बढ़ाई जा सके।
क्या है ’गुलनबारी सिन्ड्रोम विद बल्बर पाल्सी’?
यह बीमारी सर्दी-जु़काम होने पर वायरस के कुप्रभावों के रूप में शरीर में फैलता है। इस बीमारी में सीधा हाथ-पैरों की नसों पर आक्रमण होता है और उन्हें पेरेलाइज़ कर देता है। यदि यह अधिक बढ़ जाए तो पूरे शरीर को पेरेलाइज़ कर देता है। बल्बर पाल्सी में मुँह से पीया हुआ पानी नाक से निकल जाता है व आवाज़ शिथिल पड़ जाती है। इस केस में बच्चों का एक हाथ या एक पैर पेरेलाइज़ हो गया था, आवाज़ कमजोर होती जा रही थी और ऐसा लग रहा था जैसे नाक से बोल रहे हो, पानी पीने में भी दिक्कत हो रही थी और जो पानी पी रहे थे, वह भी नाक से निकल जाता था।