विद्यापीठ -सात दिवसीय पुस्तक प्रकाशन प्रमाण पत्र शुरू
युवा लेखकों को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता : सारंगदेवोत
उदयपुर। वर्तमान दौर में युवा वर्ग ने लेखन के क्षेत्र में अग्रणी योगदान दिया है वहीं प्रकाशन के क्षेत्र में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जिस तरह से तकनीकी के क्षेत्रों में वृद्धि हुई है उसी तरह प्रकाशन के क्षेत्र में नेशनल बुक ट्रस्ट एवं राजस्थान विद्यापीठ नये आयाम स्थापित करेगा।
यह कहना था बतौर मुख्य अतिथि नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष बलदेव भाई शर्मा का। अवसर था जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय एंव राष्ट्रीय पुस्तक न्यास मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के साझे में मंगलवार को कम्प्यूटर एवं आईटी विभाग के सभागार में आयोजित पुस्तक प्रकाशन प्रमाण-पत्र के उद्घाटन समारोह का।
उन्होंने कहा कि भारत प्रतिभाओं की खान है। भारत विश्व में इस दौर का सबसे युवा देश है। हमारी आधी से ज्यादा आबादी युवा है और उनकी प्रतिभाओं का जिस तरह विभिन्न क्षेत्रों में हो रहा है एवं प्रतिष्ठा मिल रही है, उसी तरह प्रकाशन के क्षेत्र में पुस्तक लेखन के क्षेत्र में उनको प्रोत्साहन मिले तो युवा इसमें भी आगे बढ़ सकता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए नेशनल बुक ट्रस्ट ने युवा लेखकों की श्रृंखला शुरू की जिससे युवाओं में लिखने की प्रवृत्ति एवं उनका स्कील डवलपमेंट एवं कौशल विकास बढ़े। ट्रस्ट युवा लेखकों की पुस्तकों का न सिर्फ प्रकाशन करवायेगा बल्कि उन्हें बाजार भी उपलब्ध कराएगा जिससे अधिक से अधिक युवा इस ओर बढ़े।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आज के इस वैश्विक युग में युवाओं के लिखने एवं बढ़ने की प्रवृत्ति खत्म होती जा रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए राजस्थान विद्यापीठ ने आगे बढ़ते हुए राजस्थान में पहली बार सात दिवसीय पुस्तक प्रकाशन प्रमाण पत्र शुरू किया है जो निरंतर जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि इस कोर्स से उदयपुर शहर में प्रकाशन को गति मिलेगी तथा इसमें आने वाली कठिनाईयों को कैसे दूर किया जायेगा। इस सात दिवसीय पाठ्यक्रम दौरान विषय विशेषज्ञों द्वारा विस्तार से इन विषयों पर चर्चा की जायेगी।
विशिष्टत अतिथि महापौर चन्द्रसिंह कोठारी ने कहा कि पुस्तक व्यक्ति का सच्चा दोस्त होती है। उन्होंने कहा कि मेवाड़ का इतिहास गौरवशाली रहा। यहां महाराणा प्रताप, भक्त मीरा, हाड़ी रानी जैसी कई विभूतियो की जन्म भूमि है।
मुख्य वक्ता श्रीधर बालन ने कहा कि वर्तमान दौर इंटरनेट, वेब वर्ड, ई-बुक्स, ई जर्नल, इलेक्ट्रोनिक मीडिया के बावजूद पुस्तकों का अपना अलग महत्व है, क्योंकि आज भी भारत का अधिकांश हिस्सा आदिवासी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करता है जहां न तो इंटरनेट है और न ही लेपटॉप। उन्होने कहा कि पुस्तकें संस्कारों की संवाहक और पुस्तकों को कही भी किसी भी समय पढा जा सकता है।
रजिस्ट्रार प्रो. सीपी अग्रवाल ने सात दिवसीय पाठ्यक्रम की जानकारी देते हुए कहा कि इसका उद्देश्य भारत में प्रकाशन उद्योग की बढ़ती आवश्यकता को पूर्ण करना है। इस पाठ्यक्रम में प्रतिभागियों को प्रकाशन के विविध आयाम तथा सम्पादन, मुद्रण, विपण, कॉपीराईट, आईएसएसएन एवं आईएसबीएन का आवंटन आदि की विस्तृत दी जायेगी। इस में देश के उत्कृष्ट विशेषज्ञ प्रतिभागियों का ज्ञानवर्धन करेंगे, जिनमें अपर्णा शर्मा, सतीश कुमार,मानस रंजन महापात्र, बीडी मेन्दिरता मुख्य रूप से होगे।
संचालन डॉ. हीना खान, डॉ. धीरज प्रकाश जोशी ने किया। धन्यवाद रजिस्ट्रार प्रो. सीपी अग्रवाल ने किया। इस अवसर पर प्रो. एन.एस. राव, डॉ. मनीष श्रीमाली, डॉ. हरीश शर्मा, डॉ. हेमशंकर दाधीच, डॉ. मंजू मांडोत, डॉ. प्रवीण दोषी, डॉ. शशि चितौडा, डॉ. शेलेन्द्र मेहता, डॉ. अलक नन्दा, डॉ. राजन सूद, डॉ. दिलिप सिंह चौहान, डॉ. धमेन्द्र राजोरा, डॉ.हेमेन्द्र चौधरी, चन्द्रेश छतवानी सहित विभागाध्यक्ष एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे।
पुस्तक का विमोचन:- समारेाह में अतिथियों द्वारा विद्यापीठ के ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अलक नन्दा द्वारा लिखित ‘प्राचीन भारत में ज्योतिष एवं खगोल विज्ञान का विकास’ पुस्तक का विमोचन किया।