पर्यूषण के दूसरे दिन स्वाध्याय दिवस पर श्रावकों ने किए संकल्प
उदयपुर। शासन श्री मुनि राकेश कुमार ने कहा कि स्वाध्याय में पूर्वाग्रह नहीं होना चाहिए यानी कोई धारणा बनाकर स्वाध्याय नहीं करना चाहिए। धार्मिक मंत्रों का उच्चारण शुद्ध होना चाहिए। लोगस्स का पाठ बहुत बड़ा मंत्र है। जो कहा वही सही है, ऐसा पूर्वाग्रह न रखें। मतभेद होने पर भी मनभेद नहीं होना चाहिए। स्वाध्याय से समता का दर्षन होता है।
वे जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में पर्वाधिराज पर्यूषण के दूसरे दिन स्वाध्याय दिवस पर धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सत्य की खोज के लिए पढऩा चाहिए। जो विज्ञान अब कह रहा है, जैन धर्म के ग्रंथों में वर्षों पहले ही कह दिया गया था। तत्वज्ञान का प्रथम सूत्र है कि व्यक्ति में अनंत शक्ति है। प्रत्येक व्यक्ति में विकास की अनंत संभावनाएं हैं। सेल्फ कांफिडेंस, विल पावरी अब सभी कहते हैं लेकिन जैन धर्म में बहुत पहले ही यह कह दिया था। सब धोखा दे सकते हैं लेकिन अपनी आत्मा कभी धोखा नहीं देगी। कर्म करते रहें, फल अपने हाथ में नहीं है। अगर पुण्य होंगे तो पाप भी पुण्य में बदल जाएंगे और अगर पाप होंगे तो पुण्य भी पाप में बदल जाएंगे। सिर्फ कर्म अपने हाथ में है, उसका परिणाम नहीं। कर्म से परिवर्तन हो सकता है। राकेश मुनि ने सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं के तैला तप के प्रत्याख्यान कराए।
मुनि दीप कुमार ने ‘हम करें स्वाध्याय आत्मा, बनेगी पावन’ गीतिका सुनाते हुए तथा मुनि सुधाकर ने भी विचार व्यहक्तध किए।
तेरापंथ सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने पहली बार विदेश में नेपाल स्थित विराटनगर में चातुर्मास कर रहे आचार्य प्रवर श्री महाश्रमण के दर्शनार्थ जा रही स्पेशल ट्रेन की जानकारी दी। संचालन मंत्री सूर्यप्रकाष मेहता ने किया। आरंभ राकेश मुनि के नवकार मंत्र के उच्चारण से हुआ। इससे पूर्व 9 से 9.30 बजे तक संगीता पोरवाल ने प्रेक्षाध्यान के प्रयोग एवं जप कराए। प्रारंभ में सोनल सिंघवी एवं बहिनों ने मंगलाचरण किया।
तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष दीपक सिंघवी ने बताया कि पर्यूषण के पहले दिन आध्यात्मिक रात्रिकालीन प्रतियोगिता के तहत भाषण प्रतियोगिता हुई। आचार्य श्री महाश्रमण के व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषयक आयोजित इस प्रतियोगिता में कनिष्ठ वर्ग में ध्रुव सिंघवी, रिया कच्छारा एवं छवि जैन तथा वरिष्ठ वर्ग में मिनी सिंघवी, उज्जवल सोनी एवं सुमन डागलिया क्रमश: प्रथम, द्वितीय व तृतीय रहे। विजयसिंह अशोक डोसी द्वारा प्रायोजित प्रतियोगिता के निर्णायक लोकेश जैन, छगनलाल बोहरा एवं मीनाक्षी जैन थे।
श्रावक वर्ष में कम से कम एक कर्तव्य का पालन अवश्य करें
आचार्य विजय सोमसुन्दर सुरीश्वर महाराज ने श्रावक-श्राविका को उन 11 कर्तव्यों के पालन की विवेचना की, जिनमें से कम से कम 1 कर्तव्य की वर्ष में एक बार पालन अवश्य करनी चाहिये। वे आज श्री जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ जिनालय द्वारा हिरणमगरी से. 4 स्थित शंातिनाथ सोमचन्द्र सूरी आराधना भवन में पर्युषण पर्व के दूसरे दिन आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इन कर्तव्यों में संघ पूजन,सधार्मिक भक्ति,यात्रा-रथयात्रा यानि वरघोड़ा,छ:री पालित संघ यात्रा,महापूजा, देव-द्रव्य में वृद्धि,आलोचना-प्रायश्चित आदि कर्तव्यों में से किसी एक कर्तव्य का वर्ष में क बार पालन अवश्य करना चाहिये। उप्होंने कहा कि इन कर्तव्यों का निर्वाह पूर्ण भक्ति भाव के साथ करने से कर्मो का क्षय संभव है। बिना भाव से किया गया कोई भी कर्तव्य प्फलदायी नहीं होता है।
भारत सतियों-महासतियों का देश: श्रद्धांजना श्रीजी
साध्वी श्रद्धांजना श्रीजी ने कहा कि हमारा देश सतियों-महासतियों का है। प्राण देकर भी अपने शील की नारियों ने रक्षा की है। इतिहास इस बात का गवाह है। सदाचार और शीलत्व नारी उस युग में अगर पानी भरे गिलास में उंगली डाल दे तो वह पानी रोगी को भी निरोगी बना देता था। ऐसा पवित्र शील होता था।
वे शुक्रवार को वासुपूज्य मंदिर में पर्वाधिराज पर्यूषण के दूसरे दिन धर्मसभा को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि शास्त्रों के अनुसार निर्वस्त्र होकर स्नान नहीं करना चाहिए। बूंदी नरेश की पत्नी सोनल देवी के शरीर का गुप्त निशान देखकर अकबर के सैनिक शेर खान को बता दिया और शेर खान ने अकबर के दरबार में पहुंचकर सोनलदेवी को पथभ्रष्ट बता दिया। साध्वी श्री के मुख से इस ऐतिहासिक घटना का वर्णन सुनकर श्रावक-श्राविकाएं रोमांचित हो गए। सोनलदेवी के बलिदान की गाथा पर महिलाओं की आंखें भर आई। उन्होंने कहा कि मंदिरों में पूजा का अधिकार सिर्फ पुजारी का नहीं, सभी का है। मनुष्य को ईश्वर ने बौद्धिक, शारीरिक, शक्ति प्रदान की है। वह कर सकता है लेकिन आलस्य के कारण नहीं करता। सौन्दर्य प्रसाधनों को चेहरे पर लगाने से चेहरा चमक सकता है लेकिन आत्मा नहीं। इन प्रसाधनों के निर्माण के पीछे काम में लिए जाने वाले संसाधन बहुत रक्तरंजित होते हैं।
ट्रस्ट के प्रतापसिंह चेलावत ने बताया कि शुक्रवार को विनोद, विपुल, मुकेश आयुष चेलावत परिवार की ओर से प्रभावना वितरित की गई वहीं आंगी की भक्ति चन्द्रकांता चौधरी परिवार की ओर से की गई।
ट्रस्ट अध्यक्ष मोहनसिंह दलाल एवं चातुर्मास सहसंयोजक दलपत दोशी ने बताया कि शनिवार से कल्पसूत्र बोहराना का वाचन आरंभ होगा। 5 ज्ञानपूजा, अष्ट प्रकार की पूजा होगी। प्रभावना उषा चन्द्रेश बोल्या परिवार की ओर से वितरित की जाएगी। आंगी भक्ति सूर्यकांता बेन दोशी हुम्मड़ परिवार की ओर से होगी।