विद्यापीठ में बीएससी एग्रीकल्चर कोर्स का शुभारंभ
51 सरपंच एवं 5 प्रधानों का सम्मान
उदयपुर। केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री चौधरी वीरेन्द्र सिंह ने कहा कि ग्रामीण विकास के लिए पंचायतों को अब केन्द्र से सीधा पैसा मिलेगा। उन्होने कहा कि 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों पर लगभग 2 लाख 46 हजार ग्राम पंचायतों पर लगभग 2 लाख दौ सौ 92 करो़ड रू. इन पांच सालों में गांवों के सम्पूर्ण विकास के लिए दिया जायेगा।
छोटी से छोटी पंचायत को भी एक वर्ष में 16 लाख रूपये तथा बड़ी से बड़ी पंचायत को 01 से 02 करोड़ रू. सालाना विकास के लिए मिलेगे। इसके अतिरिक्त महानरेगा से आया पैदा अलग से होगा। अवसर था शनिवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक जनशिक्षण एवं विस्तार कार्यक्रम निदेशालय की ओर से आयोजित ‘‘ग्रामीण विकास में पंचायतीराज की भूमिका’’ विषयक पर संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में विचार व्यक्त किए। निदेशक डॉ. मंजू मांडोत ने समारोह का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
पंचायत प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण : मंत्री चौधरी वीरेन्द्र सिंह ने कहा कि पंचायतों में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए उन्होनें राज्य सरकार का आव्हान किया कि वे पंचायतों के प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण केम्प लगाएं कि वे किस तरह से पंचायतों के विकास के कार्य किए जाए, बजट कैसे पारित किया जाए, टेण्डर कैसे हो, प्लानिंग, अधिकारियों पर अंकुश लगाने के लिए कौन-कौन सी शक्तियां उनके पास हैं। पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए संविधान में संशोधन द्वारा 29 शक्तियां दी गई जिसमें बिजली, जन स्वास्थ, सड़क, शिक्षा, पीने के पानी, का अधिक से अधिक विकास हो। जब हम अपनी सोच में आमुलचूल परिवर्तन नहीं करेंगे तब तक गांवों का विकास संभव नहीं है। हमें हमारी मानसिकता केा बदलाना होगा।
पंचायतीराज से सुधरी महिलाओं की स्थिति : उन्होंने कहा कि पंचायतीराज में महिलाओं को पहले 33 प्रतिशत तथा 50 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त हो जाने से वे और भी सशक्त हो रही है। पंचायतीराज संस्थाओं ने महिलाओं को जमीनी स्तर की राजनीति से जोडने का प्रयास किया हैं, इससे पहले ग्रामीण महिलाएं केवल घर के चूल्हे, चौके एवं कृषि तक ही सीमित थी। पर वे अब ग्रामीण विकास का कार्य भी कर रही हैं।
कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि विद्यापीठ 1937 से ही ग्रामीण विकास उत्थान में लगी हुई है। उन्होंने कहा कि विद्यापीठ ने अपने ग्रामीण अंचलों में कार्यरत केन्द्रों के माध्यम से छोटे छोटे स्किल डवलपमेंट के कोर्स प्रारंभ किए जिससे वे शहरों की ओर पलायन न कर अपने हुनर का गांवों में इस्तेमाल कर अपना व अपने परिवार का भरण पोषण कर सकता है।
अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति एचसी पारख ने कहा कि विद्यापीठ जनुभाई के सपनों को साकार करने में निरंतर लगी हुई है। उन्होंने कहा कि जनुभाई द्वारा तीन रूपये और पांच साथियों के साथ स्थापित यह संस्था आज वटवृक्ष का रूप लिए खड़ी है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का मूल उद्देश्य मनुष्य की आत्मा और उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व और अभिव्यक्ति के लिए समर्थ बनाना है साथ ही शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को साक्षर एवं प्रबुद्ध बनाते हुए जीविकोपार्जन के लिए तैयार करना भी है। समारोह को सांसद अर्जुनलाल मीणा, दिल्लीह विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. योगानन्द शास्त्री ने भी संबोधित किया। संचालन डॉ. धीरज प्रकाश जोशी ने किया। धन्यवाद रजिस्ट्रार प्रो. सीपी अग्रवाल ने दिया।
बीएससी कृषि पाठ्यक्रम का शुभारंभ : समारोह से पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने विश्वविद्यालय के जनशिक्षण विकास निदेशालय में बीएससी कृषि के चार वर्षीय पाठ्यक्रम का शुभारंभ किया। निदेशक मंजू मांडोत ने जनशिक्षण एवं विस्तार निदेशालय द्वारा विद्यापीठ के ग्रामीण अंचलों में संचालित 10 जनभारती केन्द्रों पर संचालित गतिविधियों की जानकारी प्रोजेक्टर के माध्यम से दी।
56 जनप्रतिनिधियों का सम्मान : अतिथियों द्वारा जिले के 51 सरपंच एवं 5 प्रधानों को शॉल, स्मृति चिन्ह एवं उपरणा देकर सम्मानित किया गया।
पुस्तक का विमोचन : अतिथियों द्वारा जनशिक्षण एवं विस्तार कार्यक्रम निदेशालय की निदेशक द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘महिला सशक्तिकरण एवं ग्रामीण विकास’’ का विमोचन किया गया।