उदयपुर। आयुर्वेदाचार्य डॉ. शोभालाल औदिच्य ने कहा कि मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए अपने खाना खाने के सिस्टम में बदलाव करना चाहिये क्योंकि इस सिस्टम के खराब होने से काफी बीमारियंा पैदा हो जाती है। दोपहर का भोजन 11 बजे से पूर्व तथा रात्रि भोजन सूर्यास्त से पूर्व कर लेना चाहिये।
वे रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा रोटरी बजाज भवन में ‘भारतीय जीवन शैली:आयुर्वेद व स्वास्थ्य’ विषयक वार्ता में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद यह कभी नहीं सिखाता कि गोली के साथ जीवन जीया जाएं। प्रात: अपनी क्षमता से आधा घूमेंअन्यथा आगे जाकर घूटने खराब हो सकते है।
उन्होंने कहा कि खाना खाने से पूर्व मीठा व गरिष्ठ, फिर नमकीन और अन्त में कसैला भोजन करना चाहिये। मारवाड़ क्षेत्र में इसी प्रकार भोजन किया जाता है। रात को सेाते समय पैर के तलो में तेल की मालिश करने से नैत्र ज्योति एंव उम्र बढ़ती है। प्रात: ज्यूस का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिये। उन्होंने बताया कि ग्वारपाठे में 58 प्रकार की वैरायटियंा होती है। प्रतिदिन 20 ग्राम ग्वारपाठे का सेवन कर स्वस्थ रह सकते है। उन्होंने बताया कि पाइल्स एवं अल्सर रोगियों को ग्वापाठे के सेवन से दूर रहना चाहिये।
डॉ. औदिच्य ने बताया कि अत्यधिक माहवारी वाली महिलाओं को भी इसके सेवन से बचना चाहिये। प्रतिदिन भोजन के बाद 1 आंवले का प्रयोग करना चाहिये। रात्रि को कभी भी खीर एवं प्लेन दही का सेवन नहीं करना चाहिये। जुकाम तीन दिन में बिना दवा लिये ठीक हो सकता है। जुकाम के समय प्लेन दही पूरी मात्रा में लेना चाहिये।
उन्होंने बतया कि लगातार आरओ का पानी पीने से शरीर में अनेक बीमारियंा पैदा हो जाती है। आरओ के पानी से नल का पानी पीना अधिक लाभदायक होता है। किडनी रोगी को पपीता खाना चाहिये। उन्होंने बताया कि बड़ी ईलायची में उतनी ही मात्रा में मिश्री को मिलाकर उसका पाउडर बनाकर प्रतिदिन खाना खाने के बाद आधा चम्मच लेने से कोलेस्ट्रोल कम होता है।
इससे पूर्व प्रारम्भ में क्लब अध्यक्ष गजेन्द्र जोधावत ने कहा कि आयुर्वेद व विज्ञान दोनों चिकित्सा शास्त्र है। आयुर्वेद औषधियों से भी रोगी शीघ्र स्वास्थ्य लाभ ले सकता है। पदम दुगड़ ने डॉ.औदिच्य का उपरना ओढ़ाकर स्वागत किया। कंाता जोधावत ने ईश वंदना प्रस्तुत की। कर्नल बीएल जैन ने स्मृतिचिन्ह प्रदान किया। अंत में सचिव सुभाष सिंघवी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।