उदयपुर। झीलों की नगरी में आने वाले पर्यटक यहाँ की झीलों, घाटों, बगीचों, महलों, किलों एवं हवेलियों से बनने वाली सुंदर बसावट को देखने आते हैं। इन महत्वपूर्ण पर्यटन केन्द्रों के संरक्षण से ही उदयपुर में पर्यटन फलेगा फूलेगा। ये विचार झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति व डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के साझे में श्रमदान के पश्चात संवाद में व्यक्त किए गए।
झील संरक्षण समिति के डॉ. अनिल मेहता ने कहा कि शहर की प्राचीन बसावट पर यत्र तत्र फैली गन्दगी एवं कंक्रीट की नित नई बनती संरचनाएं पर्यटन के लिए अवरोधक है। स्वच्छ उदयपुर से ही समृद्ध पर्यटन सुनिश्चित होगा। झील मित्र संस्थान के तेजशंकर पालीवाल ने कहा कि उदयपुर केवल मानवीय पर्यटन ही नहीं वरन प्रवासी पक्षियों का भी महत्वपूर्व रहवास है। इस हेबीटेट के खत्म होने से शहर का पर्यटन प्रभावित होगा। ऐसे में जरुरी है की झीलों के किनारो को बचाया जाए। ट्रस्ट सचिव नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि शहर की सुंदरता को बनाए एवं इसे स्मार्ट बनाये रखने में नागरिको एवं प्रशासन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। उदयपुर की झीलों, तालाबों एवं उनकी जल पोषक पहाड़ियों को बचाया जाये व शहर की नैसर्गिक छटा के साथ छेड़छाड़ ना की जाए।
संवाद पूर्व झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति व डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के सांझे में पिछोला के अमरकुंड घाट पर श्रमदान द्वारा जलीय घासए पूजन सामग्री एवं पोलथिन निकाली गई। घाट पर यत्र तत्र मानव शौच पड़ा होने से श्रमदान कर पूरे घाट को धोया। श्रमदान में रमेशचन्द्र राजपूत, अम्बालाल नकवाल, रामलाल गहलोत, जसवंत सिंह टांक, दुर्गाशंकर पुरोहित, दीपेश स्वर्णकार, धर्मेन्द्र राजपूत, ललित पुरोहित, तेजशंकर पालीवाल व नन्दकिशोर शर्मा ने भाग लिया।