देश-विदेश की पुस्तकों की प्रदर्शनी
सभ्यता एवं संस्कृति की वाहक हैं पुस्तकें : डॉ. राजा शेखर
पुस्तकें हमारी सच्ची दोस्त : बलदेव भाई
उदयपुर। पुस्तकें हमारी सच्ची साथी होती हैं। ज्ञान के प्रसार के साथ ही वे व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास भी करती हैं। उदयपुर जैसे जनजातीय क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर के पुस्तक मेले के आयोजन से यहां न सिर्फ जागरूकता का संचार होगा बल्कि नई जागरूकता भी आएगी। पुस्तकों ने कई साधारण लोगों का जीवन ही बदल दिया व उन्हें मानव कल्याण के असाधारण कार्य करने की ताकत दी।
ये विचार जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार से शुरू हुए नौ दिवसीय उदयपुर पुस्तक मेले के उद्घाटन पर मुख्य वक्ता नीति आयोग के उप महानिदेशक डॅा. राजा शेखर वुंद्रू ने आईटी सभागार में आयोजित समारोह में व्यक्त किए। कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि उदयपुर शहर को पहली बार आयोजित पुस्तक मेले में देश-विदेश की पुस्तकों को देखने एवं खरीदने का मौका मिलेगा।
अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति एचसी पारीख ने कहा कि विद्यापीठ ने अपने प्रारंभिक काल से ही आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा की अलख जगाने का कार्य किया। विद्यापीठ ने अपने चल पुस्तकालय के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में पुस्तकों को आदान-प्रदान कर पढ़ने के प्रति जागरूक किया है।
विशिष्ट अतिथि न्यास के अध्यक्ष बलदेव भाई ने कहा कि विश्व में सबसे पहली पुस्तक ऋग्वेषद है। उन्होंने कहा कि आज सभी ओर एक ही माहौल है कि हिन्दी कठिन है। अंग्रेजी को सरल भाषा का दर्जा दिया जाता है, जबकि विश्व में 4 प्रतिशत लोग ही अंग्रेजी भाषी है।
मेले का उद्घाटन : बलदेव भाई शर्मा, डॅा. राजाशेखर वुंद्रू, कुलाधिपति एचसी पारीख, कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत, कुल प्रमुख भंवरलाल गुर्जर, रजिस्ट्रार प्रो. सीपी अग्रवाल।
उमड़े शहरवासी : पुस्तकों के प्रति झीलों की नगरी के बाशिंदों का प्रेम पहले ही दिन देखने को मिला। सुबह 11 बजे मेला शुरू होते ही बड़ी संख्या में शहरवासी अपनी मनपसंद पुस्तकें खरीदने के लिए सपरिवार पहुंचे। उन्होंने विभिन्न स्टॉल पर जाकर पुस्तकों का अवलोकन किया और जमकर खरीदारी की। मेले में 80 से ज्यादा स्टॉल हैं जिन पर 2 हजार से अधिक विषयों पर 20 हजार से ज्यादा पुस्तकों का समावेश किया गया है। देश की सभी भाषाओं की सभी प्रमुख पुस्तकों के साथ ही यहां पर कई दुर्लभ पुस्तकें भी बिक्री के लिए रखी गईं हैं। पुस्तक मेला 11 अक्टूबर तक चलेगा। इसका समय सुबह 11 से शाम 8 बजे तक है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम व स्पर्धाएं भीं : पुस्तक मेले में ज्ञानार्जन के साथ ही बच्चों व हर वर्ग के लिए विभिन्न सांस्कृतिक स्पर्धाओं और सेमिनारों भी आयोजन किया जाएगा। विजेताओं को पुरस्कार में पुस्तकें भी प्रदान की जाएंगी।
इनका सम्मान : प्रो. सीपी अग्रवाल ने बताया कि उदयपुर शहर में शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय एवं उत्कृष्ट योगदान करने वाले संजय दत्ता, लोकेश जैन, शैलेन्द्र सोमानी, डॉ. विलियम डिसूजा का स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।