जीवन के अनुभव का ही निचोड़ हैं कहानियां
उदयपुर। बच्चों को अपने बीच पाकर लेखक भी बच्चे हो गए और फिर बातों ही बातों में शुरू हुआ काहानियां सुनाने का सिलसिला। लेखकों ने उसकी शुरूआत की तो बच्चों ने उसे अपने ही बाल सुलभ अंदाज में ढाला और आगे बढ़ाया। राजा, रानी से लेकर नदियां, परियों से लेकर दूसरे लोक से आए पात्र। कभी विज्ञान की कहानियां तो कभी लोक कहानियां नए अंदाज में। लेखकों ने बच्चों को हर विधा में कहानी लिखने के तरीके बताए।
जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के साझे में चल रहे नो दिवसीय उदयपुर पुस्तक मेले के सातवे दिन सुबह प्रख्यात लेखक शेखर सरकार व देवेन्द्र मेवाड़ी ने विश्वविद्यालय के आईटी सभागार में वहां उपस्थित सैकड़ों बच्चों को कहानी लिखने के सरल तरीके बताए। पहले सत्र में अंग्रेजी में कहानी लेखन पर चर्चा संवाद हुआ तो दूसरे सत्र में हिन्दी कहानियों की बारीकियां सिखाईं गई।
कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने बताया कि बच्चों ने यहां अपने कल्पना संसार से कई पात्रों को कहानियों के माध्यम से जीवंत किया। भारतीय पुस्तक न्यास के सम्पादक द्विजेन्द्र कुमार ने कहा कि बच्चों को अपने सृजन संसार के विस्तार के लिए लगातार विभिन्न विषयों का अध्ययन करते रहना चाहिए। इसके लिए अध्यापक और अभिभावक भी उन्हें प्रेरित करें तो बहुत अच्छा रहेगा।
प्रतियोगी परीक्षाओं की पुस्तकों की मांग : रजिस्ट्रार प्रो. सी.पी. अग्रवाल ने बताया कि मेले में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी कई पुस्तकों को छात्र बहुत पसंद कर रहे हैं व उनकी अच्छी बिक्री हो रही है। भारतीय राज व्यवस्था, इतिहास, संस्कृत, ललित कला के विविध आयमों की कई दुर्लभ पुस्तकों के सेट उपलब्ध हैं। शुक्रवार को बड़ी संख्या में यहां पहुंचे शोधार्थियों ने भी अपने शोध से संबंधित पुस्तकों की पूछ-परख की व उन्हें खरीदा।