तेरापंथी सभा और तेरापंथ महिला मंडल का विराट महिला सम्मेलन
उदयपुर। तेरापंथ धर्म संघ के आचार्यों ने महिलाओं और विशेषकर लड़कियों के प्रशिक्षण पर विशेष बल दिया। उनका मानना था कि छात्राओं और लड़कियों को प्रशिक्षण इसलिए दिया जाए ताकि वह दो परिवारों को प्रशिक्षित कर सके। महिलाएं समाज से अपेक्षा भी रखे लेकिन समाज के प्रति अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के निर्वहन को भी सुचारू बनाए।
ये विचार शासन श्री मुनि राकेश कुमार ने बुधवार को अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में व्यक्त किए। वे श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा और तेरापंथ महिला मंडल के साझे में आयोजित विराट महिला सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन में महिलाओं की समाज से अपेक्षा और समाज को महिलाओं से अपेक्षाओं पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि रात्रि भोजन से क्या नुकसान हैं, प्रतिदिन सामायिक क्यों करनी चाहिए, अभक्ष्य पदार्थ कितने हानिकारक हैं आदि की महिलाओं केा जानकारी होनी चाहिए। साथ ही इनकी पालना भी करनी चाहिए। बच्चों में धार्मिक संस्कार अवश्य डालें। मंत्रों का क्या प्रभाव होता है। आज के युग में व्यक्ति अपनों से दूर हो रहा है। सहनशीलता जरूरी है। महिलाओं को धर्म की महत्ता समझनी चाहिए। अपने धर्म के प्रति निष्ठा अवश्य रखनी चाहिए।
मुनि सुधाकर ने श्रावक निष्ठा पत्र के सम्बन्ध में कहा कि धर्मसंघ में संख्या नहीं बल्कि गुणवत्ता को महत्व दिया गया। जन्म से या धर्म से कोई महान नहीं होता। हर महान व्यक्ति शिशु के रूप में ही पैदा होता है। वह सिद्धांतों, आचार-विचार से महान बनता है। श्रावक में तीन अक्षर हैं, श्रवण, विवेकपूर्ण और कर्म। विवेकपूर्ण श्रवण करके कर्मों की निर्जरा करने वाला ही श्रावक कहलाता है। संघ और साधु साध्वियों के प्रति निष्ठा भाव रखें।
मुनि दीप कुमार ने कहा कि संगठन में ही शक्ति होती है। समूह में ही कार्य किया जा सकता है। नेतृत्वकर्ता सहिष्णु होगा तो संगठन भी सफल होगा। आईक्यू के साथ ईक्यू भी जरूरी है। आचार्य तुलसी ने कहा कि जो अच्छा शिष्य नहीं बना वह कभी अच्छा गुरु नहीं बन सकता। अध्यक्ष सीधे ही अध्यक्ष नहीं बन जाते, उससे पहले कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने कितना परिश्रम किया होगा तब वे इस मुकाम पर पहुंचे होंगे।
इससे पूर्व तेरापंथी सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने सम्मेलन में शामिल करीब 400 से अधिक महिलाओं का स्वागत करते हुए कहा कि तेरापंथ महिला मंडल के इस सम्मेलन को तेरापंथी सभा द्वारा इसलिए साझा किया गया ताकि महिलाओं को समाज से क्या अपेक्षाएं हैं और समाज को महिलाओं से क्या अपेक्षाएं हैं, पर खुली चर्चा हो सके। मैंने अध्यक्षीय कार्यभार संभालते समय ही यह घोषणा की थी कि समाज के हर बच्चे, युवा, महिला और बुजुर्गों की भागीदारी समाज की नीति निर्माण में हो, इसके लिए ऐसे सम्मेलन किए जाएंगे। युवक परिषद का भी सम्मेलन जल्द ही होगा।
मुख्य परामर्शक छगनलाल बोहरा ने कहा कि आचार्य तुलसी के कारण ही आज महिला सशक्तीकरण की ओर अग्रसर हैं। उन्होंने कुरीतियां छोड़ने का आह्वान किया। लज्जायुक्त सुवेश होना चाहिए। क्षमा वीरस्य भूषणम लेकिन देखने की जरूरत है कि क्या हम अपने घर में देवरानी-जेठानी की भूलों को भूल पाते हैं। कुरीतियां मिटाते हैं लेकिन आडम्बर अपनाते हैं।
तेरापंथी सभा मंत्री सूर्यप्रकाश मेहता ने कहा कि परिवार को संस्कारवान बनाने में महिलाओं के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। समाज के लिए आवश्यक है कि सकारात्मक सोच लेकर चलें। अच्छा कर सकें या नहीं लेकिन किसी का बुरा न हो, यह सोच लेकर चलें।
तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष दीपक सिंघवी, मंत्री अजीत छाजेड़, तेरापंथ महिला मंडल की इन्दुबाला पोरवाल, कंचन सोनी आदि ने भी विचार व्यक्त किए। आरंभ में शशि चव्हाण, मंजू फत्तावत, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष चन्दा बोहरा आदि ने मंगलाचरण किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मंडल मंत्री लक्ष्मी कोठारी ने किया। आभार सभा के संरक्षक शांतिलाल सिंघवी ने व्यक्त किया। तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष चन्दा बोहरा ने शब्दों से स्वागत करते हुए अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।