प्रिय पाठकों,
आज आपसे रूबरू होने का मौका मिला है। चार वर्ष पूर्व 25 जुलाई 2011 को जब हमने ऑनलाइन की दुनिया में प्रवेश किया था तो आरंभिक तौर पर प्रतिक्रियास्व रूप धिक्कार रूपी प्रताड़ना ही सुनने को मिली कि अभी जमाना नहीं आया है, कौन देखता है लेकिन दिल से आभार उन सभी का जिनके विरोध के बावजूद हमने चलते रहने का प्रण किया और चार वर्ष बाद अब आपके हाथों में ऑनलाइन से प्रिंट के रूप में हाजिर हैं।
कल क्या होगा, किसी ने नहीं देखा और न ही सोचा लेकिन निरंतर बढ़ते रहना एक सतत प्रक्रिया है। जमाने के साथ चलना भी है और पुरातन परंपरा को भुलाना भी नहीं है। इसी कड़ी में प्रिंट के रूप में यह पहला आरती संग्रह आपके हाथों में है। हमारा प्रयास रहा है कि आरती संग्रह आपके लिए संग्रहणीय बन पाए।
बहुत आभार उन सभी पाठकों, दर्शकों और विज्ञापनदाताओं का जिनके भरोसे पर हम खरे उतरने में कामयाब हुए और विश्वाास कायम रख पाए। विशेष तौर पर मेरे पूज्य पिता वरिष्ठ पत्रकार श्री संजय गोठवाल का जिनके मार्गदर्शन के बिना यह ख्वाौब अधूरा ही रहता। मां श्रीमती अनिता गोठवाल जिन्होंने यह आरती संग्रह आपके हाथों में पहुंचाने में सहायता की, अग्रज श्री दिनेश गोठवाल और मेरे जीवन को अधूरे से पूरा करने वाली अर्धांगिनी आरती। और विशेषकर इस सपने को साकार करने में श्री महेश गौड़ का बहुत बड़ा योगदान रहा। अगर ये कहूं कि इनके बिना मेरे इस सपने को साकार करना असंभव ही था तो कोई अतिश्योयक्ति नहीं होगी।
आभार।