उदयपुर। झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति व डॉ मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के साझे में हुए श्रमदान एवं संवाद में ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक पीटर ढिलन, डॉ. बसंत माहेश्वरी तथा डॉ. राय कूकना उदयपुर में नागरिक सहभागिता, जनप्रतिनिधियों के व्यापक समर्पित भाव, तथा उद्योग एवं स्वैच्छिक जगत वैज्ञानिकों व मिडिया के जन जुड़ाव को एक सफल व अद्वितीय मॉडल बताया। उन्होंने कहा कि उदयपुर की स्वैच्छिक परंपरा दुनिया के लिए अनुकरणीय है।
जल वैज्ञानिक डॉ पीटर ढीलन ने कहा कि राजस्थान सरकार तथा दक्षिणी आस्ट्रेलिया सरकार के मध्य हुए सिस्टर स्टेट समझोते के तहत उनकी इच्छा है कि वे उदयपुर के जल सुधार के लिए निस्वाटर्थ स्वैच्छिक सेवाएं दे सके। झील मित्र संस्थान के तेजशंकर पालीवालए रमेश चन्द्र राजपूत व मोहनसिंह चौहान ने दल को भीतरी शहर में भूजल में प्रदूषण से अवगत करवाया।
झील संरक्षण समिति के डॉ. अनिल मेहता व डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि उदयपुर की सर्व सहभागिता निश्चिततः उदयपुर को स्मार्ट सिटी बनाएगी। मेहता व शर्मा ने कहा कि इमारतों व सड़को में ही नहीं वरन साफ़ शुद्ध जल एहरीतिमाए पहाड़एझीलों नदियों तथा भू जल को बचाने से ही शहर श्रेष्ठ बनेगा। यही श्रेष्ठता शहर को स्मार्ट बनाएगी। इससे पूर्व आस्ट्रेलियाई दल ने गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया से भेंट की तथा उदयपुर के लिए कार करने की मंशा प्रस्तुत की। संवाद पूर्व बारीघाट पर झील मित्र संस्थान ए झील संरक्षण समिति व डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के सयुंक्त तत्वावधान हुए श्रमदान द्वारा झील क्षेत्र से पोलिथिन, कचरा, सड़ी गली खाद्य सामग्री, फूल मालाये व बड़ी मात्रा में जलीय घास निकाली गयी। श्रमदान में रमेश चन्द्र राजपूत, मोहन सिंह चौहान, कुलदीपक, शम्भू लाल, ललित पुरोहित, गोपाल, नितेश, गरिमा, प्रियांशी, भावेश, हर्षू, दीपेश, अजय, तेजशंकर पालीवाल व नन्द किशोर शर्मा ने भाग लिया।