नकारात्मक सोच बड़ी भावनात्मक हिंसा : राकेश मुनि
महाप्रज्ञ विहार में तीन शासन श्री वरिष्ठ संतों का आध्यात्मिक महामिलन
उदयपुर। देवगढ़ में चातुर्मास करने के बाद विहार कर शासन श्री मुनि रवीन्द्र मुनि का गुरुवार सुबह महाप्रज्ञ विहार में शासन श्री मुनि राकेश कुमार एवं नाथद्वारा में चातुर्मास कर पधारे शासन श्री मुनि हर्षलाल का यहां आध्यात्मिक महामिलन हुआ। इस आध्यात्मिक महामिलन के साक्षी बने तेरापंथ समाज उदयपुर के सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं।
महामिलन के बाद महाप्रज्ञ विहार में हुई धर्मसभा को संबोधित करते हुए रवीन्द्र मुनि ने कहा कि आज यह सत्य का स्वागत हुआ है जबकि इस युग में मत का स्वागत जरूरी हो गया है। सत्य के स्वागत से श्रावक-श्राविकाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए कि जब संतों में इतना प्रेम हो सकता है तो घर-परिवार में क्यों नहीं?
शासन श्री मुनि राकेश कुमार ने कहा कि नकारात्मक सोच सबसे बड़ी भावनात्मक हिंसा है। आज परिवारों में आपस में अलगाव हो रहा है, नकारात्मक भावनाएं घर कर रही हैं तो संतों में ऐसी प्रेम भावना देखकर श्रावक-श्राविकाएं प्रेरणा लें। ऐसा सिर्फ तेरापंथ धर्मसंघ में ही संभव है। कई दिनों से प्रतीक्षा थी कि रवीन्द्र मुनि यहां पधारें। अस्वस्थता के बावजूद विहार करते हुए वे आज यहां अपने नियत समय पर पधार गए। नाथद्वारा में भी रवीन्द्र मुनि अस्वस्थ हुए लेकिन प्रबल मनोबल के चलते आखिरकार आज यहां पहुंच गए।
मुनि हर्षलाल ने कहा कि जहां संत एक साथ हों, वहीं नववर्ष और दीपावली हो जाती है। आज यहां आठ-आठ संत एकत्र हुए हैं। इससे सुनहरा मौका और कुछ हो नहीं सकता।
मुनि यशवंत कुमार ने कहा कि विनम्रता, सौहार्द का भाव और स्वागत सिर्फ शब्दों से नहीं होता बल्कि यह प्रेरणा के लिए होता है कि संतों में कितना अगाध स्नेह है। एक संत दूसरे की प्रतीक्षा में चिंतातुर है।
उर्जावान मुनि सुधाकर ने कहा कि रवीन्द्र मुनि का स्वास्थ्य भले ही कमजोर हो लेकिन उनका मनोबल दृढ़ है। इसी तरह संघ की सेवा करते हुए श्रावक-श्राविकाओं को मार्गदर्शन प्रदान करते रहें। नेतृत्व की सफलता वही है।
मुनि दीप कुमार ने कहा कि अस्वस्थता के बावजूद विहार करते हुए यहां पधारे हैं। उनका यहां स्वागत, अभिनंदन है। मुनि दिनकर एवं मुनि श्री शांतिप्रिय ने भी विचार व्यक्त किए।
तेरापंथ सभा के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि यह उदयपुर समाज का गौरव है कि चातुर्मास की संपन्नता के बावजूद यहां संतों-सतियों की आवाजाही रहती है। अभी यहां आठ संत और नौ सतियां विराजित हैं। इनमें सबसे गौरव की बात यह कि इनमें तीन शासन श्री मुनि शामिल हैं। आज कैलेण्डर वर्ष समाप्त हो रहा है और नववर्ष की वेला में शुक्रवार सुबह 7.30 बजे वृहद मंगलपाठ होगा। जिस तरह इस वर्ष में साधु-संतों का मार्गदर्शन और आशीर्वाद मिला, अगले वर्ष में भी मिलेगा। सफल संचालन सभा के उपाध्यक्ष सुबोध दुग्गड़ ने किया। आरंभ में मंगलाचरण मिनी सिंघवी एवं समूह ने किया। आभार तेरापंथ महिला मंडल की मंत्री लक्ष्मी कोठारी ने जताया।