अंतरराष्ट्रीय आधार पर होने वाले रिसर्च अपडेट को अपनाना होगा
विद्यापीठ में शोध आधारित राष्ट्रीय कार्यशाला का आगाज
उदयपुर। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध एवं प्रकाशन के क्षेत्र में हमारा प्रतिशत घटता जा रहा है, जो चिंता का विषय है। हमें जागरूक होना होगा व हमारे शोध की वैद्यता एवं विश्वसनीता को बनाये रखना होगा क्योंकि आने वाले समय में भारत विश्व पटल पर बौद्धिक सम्पदा की शक्ति बनने वाला है।
ये विचार पेसिफिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी. पी. शर्मा ने शुक्रवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय तथा भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सीटीई प्रायोजना के अन्तर्गत आयोजित दो दिवसीय शोध आधारित राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि विचार रखें।
शोधकर्ता व शिक्षक सकारात्मक दृष्टि से युक्ता हो : प्रो शर्मा ने कहा कि एक अच्छे शोध कर्ता व शिक्षक को सकारात्मक दृष्टि से युक्त होना चाहिए। शोधकर्ता को सकारात्मकता के साथ-साथ उद्धेश्यपूण होना चाहिए क्योकि मोहग्रस्त से किये जाने वाले शोध के निष्कर्ष में सत्यता नहीं होती है । विशिष्ठ अतिथि प्रो. एम.पी. शर्मा ने कहा कि हमारे सामने भूमण्डलीयकरण की एक चुनौती है। लेकिन हमें इसके हमें इसके सकारात्मक प्रभावों पर ध्यान देते हुए भारतीय शिक्षा का भारतीयकरण करना होगा। दुनिया निरंतर परिवर्तित हो रही है लेकिन अभी भी हम बहुत पीछे है। हमें इन चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए शिक्षक-शिक्षा में गुणवत्ता के साथ शोध के क्षेत्र पर ध्यान देना होगा। शोध का उपयोग समाज व देश में बदलाव लाने के लिए करना होगा। प्रारम्भ में प्राचार्य डॉ. शशि चितौड़ा ने कहा कि आज गुणवत्त आधारित शोध की जरूररत है। इसके लिए इस प्रकार की कार्यशालाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सीटीई प्रभारी डॉ. बी. एल. श्रीमाली ने सीटीई योजना का परिचय दिया। संचालन कार्यशाला प्रभारी डॉ. देवेन्द्र आमेटा ने किया और धन्यवाद बी.एड. प्रभारी डॉ. सरोज गर्ग ने किया। तीन तकनीकी सत्रों में गुजरात के प्रो. ओएस जोशी ने शोधार्थियों को कहा कि जब तक शोधार्थी शोध समाज को अच्छे से नहीं समझता तब तक शोध में गुणवत्ता नहीं आ पाती है। गुणवत्ता के लिए विषय चयन सम्बधित साहित्य अध्ययन व शोध विधि के चयन में विशेष गइराई तक पहुंचाने की आवश्यकता है। प्रो. शूरवीर सिंह भाणावत ने भी विचार व्यनक्तए किए।