श्रीलंका में है हाथियों का अनाथालय
उदयपुर। यहां हम स्वच्छता की बातें ही करते हैं लेकिन श्रीलंका में जाकर देखें तो वहां गंदगी नाम की चीज नहीं। स्वच्छता, उचित दरों में होटल्स, ताजा फल आदि वहां की विशेषता कही जा सकती है। कुछ ऐसे ही अनुभव साझा किए वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति ‘उमंग’ के सदस्यों ने जो हाल ही में श्रीलंका का दौरा कर वापस उदयपुर पहुंचे।
समिति अध्यक्ष सुंदरलाल दक ने बताया कि स्वच्छता को लेकर वाकई वहां का प्रबंधन देखने काबिल है। पांच दिन वहां रहे लेकिन कभी गंदगी नाम की कोई चीज नहीं नजर आई। दौरे पर गए उनके साथी रविकांत जोशी ने बताया कि वहां हाथियों का अनाथालय भी है जहां कई पुराने हाथियों की देखभाल की जाती है। वहां हर्बल गार्डन्स हैं, चंदन, मसाले और कोको की खेती की जाती है। सनोई में 16 फीट लम्बी हनुमानजी की प्रतिमा भी है। हाथी पालना और जंगली लकड़ी वहां का प्रमुख व्यवसाय है।
एक अन्य सहयोगी कोठारी ने बताया कि कृषि आधारित वहां की प्रमुख अर्थ व्यवस्था है। 2011 के बाद ही वहां पर्यटन व्यवसाय पनपा है। वहां की यातायात व्यवस्था देखने काबिल है। पैदल चलने वाले लोगों के लिए बिल्कुल अलग फुटपाथ है। हमारे यहां जैसे वहां अतिक्रमण नहीं है। वहां पैदल चलने वाले लोगों को जाने में प्राथमिकता दी जाती है। वहां वन सम्पदा, प्राकृतिक सौन्दर्य भी अपार है। इस अवसर पर नए सदस्य के रूप में शेखर रावल का स्वागत किया गया। कार्यक्रम में सभी वरिष्ठ सदस्यों ने चलते चलते मेरे ये गीत… ऐ भाई जरा देख के चलो.., एक दिन बिक जाएगा… आदि गीत गाए। श्रीमती पन्ना कालिया की सुमधुर आवाज में गणपति वंदना एवं मीरा बाई के भजन के साथ कार्यक्रम का आगाज हुआ।