श्रेष्ठ हस्तशिल्पी, दस्तकार होंगे पुरूस्कृत
उदयपुर। ग्रामीण गैर-कृषि विकास अभिकरण रूडा एवं विकास आयुक्त हस्तशिल्प भारत सरकार नईदिल्ली की ओर से टाउनहॉल में आयोजित किये जा रहे दस दिवसीय मेले में जनता के मिले सकारात्मक सहयोग के कारण मेले की बिक्री अब तक 62 लाख हुई है।
रूडा के उप महाप्रबंधक दिनेश सेठी ने बताया कि गुरूवार को मेले का अंतिम है और इस दिन मेले के सर्वश्रेष्ठ दस्तकार, हस्तशिल्पी, सर्वश्रेष्ठ हस्तशिल्प या आर्टिजन को पुरूस्कृत किया जाएगा। उत्तरप्रदेश के भदौही जिले से आये मोहम्मद हसनैन ने बताया कि इस जिले में पिछले 10 वर्षो में लगभग 50 प्रतिशत दस्तकार रह गये है क्योंकि युवा पीढ़ी इस क्षेत्र में आगे नहीं आ रही है जबकि पुराने सभी दस्तकार अपनी युवा पीढ़ी को इसमें लाने के लिये प्रयासरत है ताकि उनकी कला की पहिचान बनी रह सकें।
इस मेले में दरियां एवं कारपेट ले कर आये हसनैन ने बताया कि मशीनी कारपेट के बाजार में आ जाने से हेण्डमेड कारपेट का कारोबार मात्र 25 प्रतिशत रह गया है। कला के पारखियों ने भदौही जिले के प्रसिद्ध हेण्डमेड कारपेट की कला को दस्तकारों ने विदेशों तक पंहुचाया है ओर आज भी निर्यात के जरीये इस कला ने अपनी पहिचान बनाएं रखी है। हसनैन ने बताया कि दरियों में भी केलिम दरी बनाने की कला बहुत प्रसिद्ध है। केलिम दरियां हाथ के पंजे से बनती है और एक फुल साईज की दरी बनाने में करीब 20 दिन लग जाते है। उदयपुर में अपनी कला का प्रदर्शन करने का परिणाम यह निकला की एक पंाच सितारा होटल ने दो कालीन बनाने का ऑर्डर दिया है।