दो वर्ष बाद भड़भूजा घाटी स्थित वरूण मॉल सीज
उदयपुर। भड़भूजा घाटी पर अरोड़ा खत्री समाज के नोहरे की जमीन पर दी गई आवासीय स्वीकृति पर 123 दुकानों के बनाए गए व्यावसायिक वरूण मॉल को शुक्रवार को नगर निगम ने सीज कर दिया। कार्यवाही के दौरान मॉल के दुकानदारों ने जमकर विरोध किया और नारेबाजी की। हालांकि यह कार्रवाई दिन भर शहर में चर्चा बनी रही।
जानकारी के अनुसार भड़भूजा घाटी में अरोड़ा खत्री समाज के नोहरे के लिए एक जमीन थी। वर्षों से यह जमीन खाली पड़ी थी और मकान जर्जर अवस्था में था। कुछ समय पूर्व अरोड़ा खत्री समाज के विजय अरोड़ा ने निगम में समाज के नोहरे के लिए आवासीय स्वीकृति प्राप्त की और वरूण मॉल बना दिया, जिसमें 123 दुकानों का निर्माण कर दिया गया। वरूण मॉल बनने के बाद इन सभी दुकानों को लाखों रूपए लेकर लीज पर दे दिया गया। शिकायत पर उच्चाधिकारियों को इस बारे में जानकारी दी गई और बाद में इस निर्माण संबंधी असली फाइलों को निकलवाया गया। सामने आया कि उक्त निर्माण गलत है और निगम को करेाड़ों के राजस्व की हानि हुई। मॉल को सीज करने का निर्णय लिया गया। निगम के आयुक्त सिद्धार्थ सिहाग के नेतृत्व में अधिकारी वहां पहुंचे। जब पता चला कि मॉल को सीज किया जा रहा है तो व्यापारी हैरत में रह गए और मॉल के बाहर एकत्रित हो गए। कुछ देर बाद दुकानदार विरोध पर उतर गए। कुछ दुकानदार वहां सो गए। पुलिस के जवानों ने पकड़.पकड़ कर मॉल से सभी को बाहर निकाला। व्यापारियों का कहना था उन्होंने इस मॉल में 25-25 लाख रूपए में दुकानें गिरवी ली है। मॉल आवासीय हो या व्यावसायिक, उन्हें कोई लेना-देना नहीं।
उधर शहर में चर्चा का विषय रहा कि जब निगम ने स्वीकृति दी, गलत निर्माण हुआ तब क्यों निगम के भ्रष्ट अधिकारी और जनप्रतिनिधि आंखें मूंदे बैठे रहे। स्थानीय चैनलों, अखबारों में लगातार विज्ञापन देते रहने पर भी किसी की नजर नहीं गई। सात साल से चल रहे निर्माण के बाद अब उसे सीज करने का क्या तुक है। क्याे उन कतिपय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कार्रवाई होगी या मामला फिर ले-देकर ठंडे बस्ते में चला जाएगा।