उदयपुर। उदयपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इन्डस्टीज का स्वर्ण जयन्ती वर्ष समापन समारोह 12 फरवरी को मादड़ी इन्डस्टीयल एरिया स्थित चेम्बर भवन में होगा। मुख्य अतिथि राज्य के गृह मंत्री गुलाबचन्द कटारिया, विशिष्टर अतिथि हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनील दुग्गल होंगे। मुख्य वक्ता अक्षरधाम के प्रमुख स्वामी गणवत्सलदास इस समारोह में मुख्य वक्ता होंगे जो नैतिकता एवं व्यवसाय पर व्याख्यान देंगे।
अध्यक्ष वीपी राठी ने बताया कि यूसीसीआई की विगत 50 वर्षों की गौरवपूर्ण यात्रा से जुड़ी स्मृतियों का संकलन कर तैयार की गई पुस्तिका एवं मेम्बर्स डायरेक्ट्री का भी विमोचन किया जाएगा। समारोह के दौरान यूसीसीआई में उल्लेखनीय योगदान देने वाले सदस्यों को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया जायेगा।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष हंसराज चौधरी ने बताया कि यू.सी.सी.आई. के द्वारा निजी क्षेत्र की भागीदारी से इस क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा निवेश आकर्षिक करने हेतु प्रयास किए जा रहे हैं जिससे आर्थिक एवं औद्योगिक प्रगति के साथ-साथ यहां रोजगार के अधिक से अधिक अवसर उत्पन्न किए जा सकें। यूसीसीआई इस क्षेत्र में अधारभूत सुविधाओं के विकास के साथ-साथ उदयपुर को प्रदूषण रहित शहर के रूप में विकसित किए जाने हेतु भी कृतसंकल्प है।
पूर्व अध्यक्ष केएस मोगरा ने बताया कि दक्षिण राजस्थान में उद्योग एवं व्यापार को बढ़ावा देने तथा औद्योगिक एवं व्यापारिक समुदाय को सेवाऐं प्रदान करने एवं क्षेत्र के विकास में योगदान प्रदान करने के उद्देश्य से स्व. पीपी सिंघल सिंघल ने सन् 1965 में उदयपुर इन्डस्ट्री एण्ड कॉमर्स एसोसिएशन की स्थापना की गई। सन् 1968-69 में इसका संविधान पारित किया गया तथा 12 फरवरी 1979 को राजस्थान नॉन ट्रेडिंग कम्पनी अधिनियम के अन्तर्गत इसका पंजीयन करवाया गया। इसी दिनांक से इस संस्था ने उदयपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इन्डस्ट्री के नाम से कार्य करना आरम्भ किया गया।
वीरेन्द्र सिरोया ने बताया कि वर्तमान में यूसीसीआई के 460 प्रत्यक्ष सदस्य एवं लगभग 3000 अप्रत्यक्ष सदस्य हैं तथा अपने सदस्यों के माध्यम से यह राज्य में लगभग 47 हजार करोड रुपये के निवेश का प्रतिनिधित्व करती है। यह दक्षिण राजस्थान के आठ जिलों यथा उदयपुर, राजसमन्द-भीलवाडा-चित्तौडगढ-प्रतापगढ-बांसवाडा-डूंगरपुर एवं सिरोही के औद्योगिक एवं व्यापारिक समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रमुख प्रतिनिधि संस्था है।
रमेश चौधरी ने बताया कि यूसीसीआई को लगभग सभी जिला स्तरीय, राज्य स्तरीय एवं राष्ट्रीय सलाहकार समितियों में प्रतिनिधित्व प्राप्त है। यूसीसीआई द्वारा राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार की नीति निर्धारण कमेटियों को समय-समय पर औद्योगिक एवं व्यापारिक समुदाय के दृष्टिकोण से अवगत कराया जाता है।
यूसीसीआई देश का एकमात्र ऐसा औद्योगिक संस्था है जिसे राज्य की औद्योगिक इकाइयों से उत्सर्जित होने वाले हानिकारक अपशिष्ट के प्रबन्धन एवं नियमानुसार निस्तारण हेतु सन् 2005 में यूसीसीआई द्वारा गुड़ली में राज्य की एकमात्र हानिकारक अपषिश्ट प्रबन्धन सुविधा की स्थापना की गई। आज राज्य की 850 से अधिक औद्योगिक इकाईयां अपने औद्योगिक अपशिष्ट निस्तारण हेतु इस सुविधा का उपयोग कर रही हैं। सुप्रीम कोर्ट की मॉनीटरिंग कमेटी द्वारा इस अपषिश्ट निस्तारण सुविधा का निरिक्षण किया गया तथा इस कमेटी ने इस सुविधा की स्थापना हेतु यूसीसीआई द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए उक्त अपशिष्टा प्रबंधन सुविधा का दर्जा प्रदान किया। पूर्व अध्यहक्ष पीएस तलेसरा, महेन्द्र टाया, मानद महासचिव जतिन नागौरी ने भी विचार व्यपक्त् किए।
पूर्व मानद महासचिव आशीष छाबड़ा ने बताया कि सन् 2009 में यूसीसीआई द्वारा आयड़ नदी के सबसे ज्यादा प्रदूशित भाग सूखा-नाका क्षेत्र में ईको एवं बायो टैक्नोलॉजी का सर्वप्रथम प्रयोग करते हुए इसे प्रदूषणरहित करने व पारस्थितिक सन्तुलन की पुनःस्थापना हेतु 50 लाख रूपये की एक पायलेट परियोजना हाथ में ली गई। इसके तहत आयड नदी जल क्षेत्र में छह ग्रीन ब्रिज स्थापित किए गए हैं। नदी जल को गन्दगी से मुक्त करने वाली पब्लिक – प्राइवेट पार्टनरशिप आधारित परियोजना की यह विशेषता है कि इसके संचालन हेतु किसी प्रकार के ईंधन अथवा विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता नहीं पड़ती है, जिससे इसके संचालन एवं रखरखाव पर न्यूनतम खर्च आता है।