उदयपुर. गीतांजली हॉस्पिटल के नेफ्रोलोजी विभाग के डॉ जीके मुखिया ने ग्राफ्ट के ब्लॉकेज का एंजियोप्लास्टी से बायपास करने का दावा किया हैा उनके साथ कैथ लेब का स्टाफ शामिल था।
डॉ. मुखिया ने बताया कि उदयपुर निवासी 45 वर्षीय रोगी रंजीत 4 वर्षों से डायलिसिस पर है। दो वर्ष पूर्व मुख्य धमनियां ब्लॉक होने से रोगी के शरीर में सूजन आने लगी थी और फिस्टूला से डायलिसिस करने में भी दिक्कत होने लगी थी तो इसके उपचार के लिए जब वे गीतांजली अस्पताल आए तो कार्डियक सर्जन डॉ संजय गाँधी व नेफ्रोलोजिस्ट डॉ. मुखिया ने मिलकर रोगी के पैर की नस का ग्राफ्ट बायपास के लिए इस्तेमाल किया व रोगी को ठीक किया। इसके पश्चात् उसकी सूजन कम हुई व फिस्टूला से डायलिसिस भी सही से होने लगा। शनिवार को वे दोबारा आए जब उनके चेहरे, छाती व हाथ में सूजन दोबारा होने लगी। इसके बाद एंजियोग्राफी की गई जिससे पता चला कि बायपास ग्राफ्ट के अंतिम सिरे पर गहरा सिकुड़पन आ गया है जिससे रक्त प्रवाह सही नहीं हो रहा था। इसके उपचार के लिए भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत निःशुल्क एंजियोप्लास्टी का 3 घंटे की प्रक्रिया हुई। एंजियोप्लास्टी के बाद रंजीत के हाथ, छाती व चेहरे की सूजन में कमी हुई व अब वह ठीक है और फिस्टूला द्वारा डायलिसिस भी सही से हो रहा है।
एंजियोप्लास्टी अच्छा विकल्प : डॉ. मुखिया ने बताया कि यदि यह उपचार एंजियोप्लास्टी से नहीं होता तो रोगी को एक ओर बायपास की जरूरत होती। एंजियोप्लास्टी में फायदा यह हुआ कि रोगी उसी दिन घर जा सकता है। बायपास करने में कई दिनों तक अस्पताल में ही रहना पड़ता और खर्चा भी अधिक होता।