स्मार्ट सिटी के लिये जरूरी है ग्रीन इकोनोमिक डवलपमेन्ट
विद्यापीठ – सतत विकास एवं हरित आर्थिक विकास पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी
उदयपुर। प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रो. सीएस बिरला ने कहा कि ग्रीन इकोनोमिक डेवलपमेन्ट को यदि देश भर में लागू कर दिया जाये तो निश्चित तौर पर उसके उत्कृष्ट परिणाम होंगे। उन्होंने बताया कि देश में 60 प्रतिशत ऐसे स्थान है जहां जल की समस्या रहती हैं। भूमिगत जल का स्तर दिनों दिन गिरता चला जा रहा है। उन्होंने पश्चिमी विकास मॉडल तथा आधुनिक अवधारणा को पर्यावरण की क्षति के लिये जिम्मेदार बताया।
अवसर था शनिवार को जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संगठक श्रमजीवी महावि़द्यालय के अर्थ शास्त्र विभाग की ओर से सतत विकास एवं हरित आर्थिक विकास पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठि में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में अपनी बात कही। प्रो. बिरला ने बताया कि 2030 तक भारत विश्व की तीसरी आर्थिक शक्ति बन जायेगा। भारत विकास दर बढाने के लिये प्रयासरत है तथा भारत आर्थिक विकास दर के सन्दर्भ में आगे निकल जायेगा। अमेरिका व चीन के बाद विश्व की तीसरी आर्थिक शक्ति के रूप में उभर कर सामने आएगा। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण के कारण हम लोग ही है आज पर्यावरण एक ऐसा विषय है जो भारत के लिये ही नही सम्पूर्ण विश्व के लिये चिन्ता को विषय बना हुआ हैं । विकास के साथ- साथ प्रदूषण में भी बढोतरी हुई है। बड़े उद्योगों एवं फैक्ट्रीतयों से प्रदूषण काफी प्रदूषित हो रहा है। भारत में 40 से ज्यादा शहर पर्यावरण की समस्या से सबसे ज्यादा ग्रसित है । कई स्थानों पर एक समय ऐसा भी आयेगा जब आक्सीजन का छिडकाव तक करना पड सकता। जिस गति से वाहनों की संख्या बढ रही है उसी रफ्तार से प्रदूषण में भी इजाफा हो रहा है। उद्योगों से निकलने लावा अपशिष्ट भी जल प्रदूषण के लिये जिम्मेदार है। बढ़ते प्रदूषण के लिये ग्रीन इकोनोमिक डेवलपमेन्ट की आवश्यकता है और इसके लिये प्रयत्न करना चाहिये। मुख्य अतिथि कोटा विश्वविद्यालय के कुलति प्रो. पी.के. दशोरा ने कहा कि अर्थ है तो अर्थ है नहीं तो सब व्यर्थ है। प्रकृति के साथ सामंन्जस्य रखते हुए हमें विकास के ग्रीन मॉडल को अपनाना होगा। आज हम स्मार्ट सिटी की कल्पना कर रहे है वह बिना ग्रीन इकोनामी डवलपमेन्ट के सम्भव नहीं।
विशिष्ट अतिथि चेन्नई एचडीएफसी बैंक के वाईस प्रेसिडेन्ट प्रकाश मेनन ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग वर्तमान सदी की सबसे बडी समस्या है। यदि इसके प्रति जनता सजग नहीं होगी तो स्थिति और खराब होने की सम्भावना हैं। विशिष्ट अतिथि डीन प्रो पीके पंजाबी हैं सेमीनार में डीन प्रो पीके पंजाबी प्रो. अंजु कोहली, प्रो. गणेश कावडिया, प्रो. एनके दशोरा, प्रो. कुमुद दवे, डॉ0 हेम शंकर दाधीच, डॉ. सुनिल दलाल प्रो. शशी, डॉ0 मोनिका दवे, डॉ. मुकेश चौहान, डॉ0 सरोज गुप्ता, डॉ0 योगेश जैन, डॉ. श्रुति टण्डन, डॉ ज्योति गौतम ने भी विचार व्यक्त किये। प्रारम्भ में संगोष्ठी निदेशक प्रो. सुमन पामेचा ने अतिथियों का स्वागत किया । आयोजन सचिव डॉ. पारस जैन ने दो दिवसीय सेमीनार की विषय वस्तु के बारे में जानकारी दी। संचालन सीमा चम्पावत ने किया। धन्यवाद डॉ. पारस जैन ने दिया। सेमीनार के पहले दिन विभिन्न समान्तर शब्दों में 54 पेपर पढे गये।