ग्लोबल वार्मिंग सदी की सबसे बड़ी समस्या
विद्यापीठ सतत विकास एवं हरित अर्थव्यवस्था पर सेमीनार
उदयपुर। स्थिर सतत विकास के साथ- साथ आज प्रशासन के हर स्तर पर पर्यावरण संरक्षण बढते प्रदूषण कथित असन्तुलन की जवाबदेही तय करनी होगी। जिस रफ्तार से आज के हालात है समाज और संस्कृति में पर्यावरण असन्तुलन, बढ़ता प्रदूषण आज की गम्भीर समस्या बनी हुई हैं। सामूहिक भागीदारी से ही इस पर नियंत्रण किया जा सकता है।
ये विचार राजस्थान विश्वविद्यालय तथा प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रो. एसके बतरा ने रविवार को जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्ववि़द्यालय के अर्थशास्त्र विभाग की ओर से आयोजित सतत विकास एवं हरित अर्थव्यवस्था पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन पर कही।
राष्ट्रीय आय को परिभाषित करने की जरूरत
प्रो. बतरा ने कहा कि प्रकृति के प्राकृतिक साधनों तथा पर्यावरण को विकास के द्वारा नुकसान पहुंचाया जा रहा हैं तथा उसकी गणना नहीं की जा रही हैं। जरूरत इस बात की है कि प्रत्येक साधन की कीमत तय हो। साथ ही पर्यावरण संरक्षण का भी ध्यान रखा जाना आवश्यक है। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग वर्तमान सदी की बडी समस्या है। इसके कारण पृथ्वी के तापमान में बढ़ोतरी हो रही है जो गत 10 वर्षों में 0.3 से 0.6 डिग्री सेल्सियस हुई है इससे मौसम चक्र अव्यवस्थित हुआ है जो कि अकाल, बाढ़, सुनामी, आंधी, तूफान आदि की स्थिति उत्पन्न हुई है। ग्लोबल वार्मिंग के भौतिक तत्वों के परिवर्तन से आर्थिक स्थिति भी प्रभावित हुई हैं । इससे विश्व की आर्थिक नींव भी प्रभावित हुई हैं। साथ ही पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन भी अर्थ शास्त्र को प्रभावित करते है। इसके कारण यह भी जरूरी हो जाता है कि व्यक्ति यदि अपनी आमदनी बढाना चाहता है तो उसे सबसे पहले पर्यावरण के साथ संतुलन बनाना होगा। विशिष्ट अतिथि सुखाडिया विश्वविद्यालय के प्रो. जीएमके मदनानी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन वर्तमान दौर की सबसे बडी समस्या है। यदि इसके प्रति जनता ही सजग नहीं होगी तो स्थिति और खराब होने की सम्भावना है। विशिष्ट अतिथि डीन (कला) प्रो. प्रदीप पंजाबी, प्रो. सुमन पामेचा, प्रो. अंजु कोहली, डॉ. महेन्द्र सिंह राणावत, डॉ. मोनिका दवे, डॉ. सुनिल दलाल, डॉ. नीलम कौशिक, डॉ. युवराज सिंह राठौड़, डॉ. हेमेन्द्र चौधरी, डॉ. आरपी नराणीवाल, डॉ. अमीर राठौड़ ने भी विचार व्यक्त किये।
डॉ. पारस जैन ने भी विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी निदेशक सुमन पामेचा ने अतिथियों व एल्युमिनाई सदस्यों का परिचय दिया। आयोजन सचिव डॉ. पारस जैन ने दो दिवसीय संगोष्ठि का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों से आये विशेषज्ञों ने 103 पत्रों का वाचन किया। संचालन सीमा चम्पावत ने किया धन्यवाद डॉ. पारस जैन ने दिया।