उदयपुर। भारतीय संस्कृति में मनुष्य का जमीन पर बैठना उसके स्वस्थह होने की निशानी माना जाता है, लेकिन आधुनिक जीवन शैली एवं पानी में फ्लोराइड के चलते आज ज्यादातर लोगों में घुटने में दर्द की षिकायत होना आम हो गया है और ऐसे मरीजों को लिए पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पीटल में एक बिषेष तकनीक का कृत्रिम घुटना एवं कूल्हा प्रत्यारोपण किया जा रहा है जिसके चलते मरीज एक स्वस्थ्य इंसान की तरह आराम से जमीन पर बैठ सकता है।
अस्थि रोग सर्जन डॉ सालेह मोहम्मद कागजी ने बताया कि घुटना प्रत्यारोपण की इस लेटेस्ट तकनीक द्वारा आधुनिक डिजाइन एवं सामान्य से अलग छोटे चीरे से दोनों घुटनों का ऑपरेशन किया जा सकता है। इस तकनीक से होने वाले ऑपरेशन में लागत भी लगभग 50 फीसदी तक कम आती है साथ ही छोटे चीरे एवं कमरक्त स्त्राव के कारण मरीज ऑपरेशन के अगले दिन से ही चल फिर सकता है।
डॉ कागजी ने बताया कि इस तरह के ऑपरेशन में रक्त की कमी की भरपाई के लिए मरीज के स्वयं का खून एकत्रित करके उसी को चढा दिया जाता है जिससे कि अन्य व्यक्ति के रक्तदान से होने वाली जानलेवा बीमारी हेपेटाइटिस, एड्स आदि से भी बचा जा सकता है। इस ऑटोट्रांसफ्युजन पद्धति (स्वयं का एकत्रित रक्त) का अभी भारत में चलन नही के बराबर है। लेकिन इस पद्धति से न केवल मरीज को रक्त से होने वाली बीमारी से बचाया जा सकता है बल्कि उसके परिजनों को ब्लड के लिए होने वाली परेषानियों से काफी हद तक निजात मिलेगी।