राजस्थान विद्यापीठ में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में जुटे देश-विदेश के फिजियोथेरेपिस्ट
उदयपुर। विश्व में किसी भी खेल के मैदान में चाहे वहा सचिन तेंदुलकर, पीटी उषा, रोनाल्डो, हनुमंत सिंह, सानिया मिर्जा या अन्य कोई खेल हो उसमें फिजियोथेरिपस्ट की भूमिका अहम होती है। मैदान में खिलाड़ियों की मांसपेशियां खिंचने की बीमारी आम है। इसे दूर करने के लिए एलोपेथी की दवा का उपयोग न करके फिजियोथेरेपी से उसका तत्काल इलाज किया जाता है।
ये विचार शुक्रवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक फिजियोथेरेपी चिकितसा महाविद्यालय की ओर से आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में स्पोर्ट्स फिजियोथेरेपी एक्वा रिहेबिलिटेशन सेन्टर गोवा के निदेशक एवं आईएपी के महासचिव डॉ. केतन भाटीकर ने बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि लकवे के मरीज को स्वीमिंग थेरेपी के माध्यम से अतिशीघ्र ठीक किया जा सकता है। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि आज की युवा पीढी उनकी व्यस्ततम लाइफ स्टाकइल, ज्यादा से ज्यादा वाहन के इस्तेमाल, बसों में ट्रेनों में यात्रा करने एवं अधिक सीटिंग करने से पीठ का दर्द, रीढ की हड्डी का दर्द आम बात हो गई हैं। युवा इससे बचने के लिए अपने स्वास्थ के प्रति जागरूक होकर रोजाना व्यायाम एवं योगा करे एवं दौड लगाये। भारत में युवा वर्ग द्वारा ज्यादा सीटिंग करने से वाहनो के इस्तेमाल से हड्डियों से स्ट्रेसस आ जाता है। इस कारण दर्द होता है इससे फिजियोथेरेपी की मेन्युल थेरेपी एवं मसाच थेरेपीके माध्यम से ठीक किया जा सकता है।
मुख्य अतिथि उदयपुर सांसद अर्जुनलाल मीणा ने छात्र छात्राओं का आव्हान कि भारत की 70 प्रतिशत आबादी गांवो में निवास करती है गावों को भी इस पद्धति का लाभ मिले, इसी उद्देश्य को लेकर अपने जीवन की शुरूआत गांवों से करनी चाहिए। चिकित्सा के क्षेत्र में आज फिजियोथेरिपस्ट की विश्व में भाग बढ़ने लगी है। इसी चिकित्सा पद्धति के माध्यम से लकवे के मरीज को फिजियोथेरेपिस्ट थेरेपी के माध्यम से ठीक कर उसे चलने योग्य बना सकता है।
आयोजन सचिव डॉ. शेलेन्द्र मेहता ने अतिथियों का स्वागत किया। विशिष्टे अतिथि श्रीलंका कोलम्बो विवि के सुरंगा दशा नायके ने वाईब्रेशन थेरेपी तथा मस्तिष्क थेरेपी की विभिन्न विधाओं के बारे में जानकारी दी। कनाडा के डॉ. एमआर जेब ने कहा कि फिजियोथेरेपी में इलेक्ट्रो थेरेपी से हर तरह की बीमारियेां का इलाज बडी सरलता एवं सफलता के साथ किया जा सकता है। ओमान के मोहम्मद वारिस तथा अहमदाबद के वरिष्ठ जोईंट रिपलेसमेंट सर्जन एच.एल. बालोडिया, डॉ. पल्लव भटनागर ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन डॉ. प्रज्ञा भट्ट एवं डॉ. युचिका राव ने किया। धन्यवाद डॉ. एसबी नागर ने दिया। आयेाजन सचिव डॉ. शेलेन्द्र मेहता ने बताया कि सम्मेलन में अतिथियों द्वारा स्मारिका एवं डॉ. एस.बी. नागर द्वारा लिखित नेचुरोपेथी पुस्तक का विमोचन किया गया। उक्त सम्मेलन में पूरे देश के सभी प्रदेशों एवं अमेरीका, मलेशिया, श्रीलंका, कनाडा, नामीबिया, अफ्रीका आदि देशों के लगभग 700 प्रतिभागी भाग ले रहे है। शुक्रवार को तकनीकी सत्र में ड्राई निडलिंग, स्ट्रोक रिहेबलीटेशन, लिम्बो डिमा मैजेजमेंट इत्यादि विषयों पर लगभग 50 पत्रवाचन हुए तथा एक्वाटिक थेरेपी, रेन्युल सेकलन थेरेपी, थेराबेंड टेकनिक की 5 कार्यशालाए आयोजित की गई।