माइक्रोवायटा पर अंतरराष्ट्रीिय सेमिनार
उदयपुर। सोसाइटी फॉर माइक्रोवायटा रिसर्च एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन, उदयपुर (स्मरिम) द्वारा आरएनटी मेडिकल कॉलेज के बाल चिकित्सालय सभागार में शुक्रवार को माइक्रोवायटा अनुसन्धान पर द्वितीय अंतर्राष्टीय सेमिनार का आयोजन किया गया।
आयोजन सचिव डॉ. वर्तिका जैन ने बताया कि उदघाटन सत्र में मुख्य अतिथि आरएनटी मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. एचके बेदी और विशिष्टि अतिथि डॉ. सुरेश गोयल थे। शुभारम्भ माइक्रोवायटा सिद्धांत के प्रतिपादक पीआर सरकार की प्रतिकृति पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ. सोसाइटी अध्यक्ष डॉ. वर्मा ने प्रारम्भ में सभी अतिथियों का स्वागत किया।
सेमिनार के उदघाटन सत्र में सोसायटी के विगत सात वर्षों से निरन्तर छप रहे वैज्ञानिक बुलेटिन “बुलेटिन ऑन माइक्रोवायटा रिसर्च एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन” के तृतीय अंक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया. साथ ही माइक्रोवायटा और इंटीग्रेटेड मेडिसिन विषय पर उल्लेखनीय कार्य कर रहे सोसायटी के आजीवन सदस्यों को फ़ेलोशिप दे कर सम्मानित भी किया गया। उद्धाटन सत्र का संचालन डॉ. श्रुति टंडन ने किया।
सेमिनार में कुल दो तकनिकी सत्र हुए. प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता एम्स्टर्डम, जर्मनी से हेंक दी विजर जिन्होंने “माइक्रोवायटा और चेतना के विभिन्न रूपों” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि माइक्रोवायटा सबसे सूक्ष्म जीवित सत्ता है जो इलेक्ट्रान से भी सूक्ष्म है और विश्व के कई देशों की प्रयोगशालाओं में पीआर सरकार द्वारा प्रतिपादित इस माइक्रोवायटा सिद्धांत पर शोध जारी है। फिर डॉ. एसके वर्मा ने मानव मन, औषधि विज्ञान और माइक्रोवायटा विषय और डॉ. रेनू खमेसरा ने तंत्रिका विज्ञान के साथ ध्यान साधना के सम्बन्ध को बताया।
सेमिनार के द्वितीय तकनिकी सत्र में पंजाब यूनिवर्सिटी से गोल्ड मेडलिस्ट और अमेरिका की पेनसिलवेनिया यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट और वर्तमान में स्वीडन में कार्यरत डॉ. शम्भू शिवानन्द ने ध्यान साधना में माइक्रोवायटा की भूमिका विषय पर विचार व्यडक्तश किए। उन्होंने कहा कि माइक्रोवायटा जड़ और चेतन के बीच की सूक्ष्म कड़ी है और सभी जड़ और चेतन पदार्थों की मूलभूत सरंचना है तथा माइक्रोवायटा विज्ञान वह विज्ञान है जो भौतिक विज्ञान और जीव विज्ञान को जोड़ता है। इसके अतिरिक्त शोधार्थियों ने माइक्रोवायटा और होमियोपैथी, पतंजलि सूत्रों में माइक्रोवायटा, ध्यान साधना में तृतीय चक्षु का अस्तित्त्व इत्यादि विषयों पर पत्रवाचन किया। अंत में पैनल डिस्कशन में आमंत्रित वक्ताओं ने प्रतिभागियों के प्रश्नों का उचित समाधान किया गया। सेमिनार में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।