महावीर जन्मकल्याणक के तहत विनीत अशोक गेमावत की भक्ति संध्या
उदयपुर। तू भी महावीर बन सकता है, गर उस राह पर चल सकता है…, छोड़ दिगम्बर श्वेताम्बर बस हमें जैन कहलाना, जिन्दा रखना है जैन धर्म तो हमें एक हो जाना.., जिन शासन नम्बर वन… जैसे भक्ति गीतों से आरंभ हुई भक्ति संध्या में जब भक्ति गीतों की गूंज उठी तो भगवान महावीर के स्मरण में लोग ऐसे झूमे कि समय का पता ही नहीं चला।
मौका था भगवान महावीर के जन्म कल्याणक महोत्सव के उपलक्ष्य में सोमवार शाम फतह स्कूल प्रांगण में महावीर युवा मंच संस्थान के तत्वावधान में आयोजित युवा जैन संगीतकार विनीत अशोक गेमावत की भक्ति संध्या का। नमस्कार महामंत्र से मंगलाचरण के बाद जब विनीत ने अपने सुर बिखेरे तो मानो पांडाल में भक्ति सरिता बहने लगी। भक्ति संध्या के सौजन्यकर्ता ज्योतिषाचार्य कांतिलाल जैन का मेवाड़ी पगड़ी, उपरणा, माल्यार्पण एवं शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया गया।
संस्थान के मुख्य संरक्षक राजकुमार फत्तावत ने बताया कि संस्थान का सामूहिक विवाह आयोजन एक मिसाल कायम कर चुका है। इतने वर्षों तक लगातार सामूहिक विवाह आयोजन देश भर में पहली संस्था है जो प्रतिवर्ष करती आ रही है।
समारोह संयोजक श्याम नागौरी ने बताया कि खचाखच भरे परिसर में विनीत ने जब भगवान महावीर का जन्मवाचन किया तो श्रोता झूम उठे। उन्होंने दुनिया में बढ़ग्यो पाप घणो, वो वर्द्धमान कठे, जन्मकल्याणक आया, भक्तों की लगी भीड़, हिल मिलकर बोलो प्रेम से जय महावीर, छोटी छोटी अंखियां छोटे छोटे बाल, झूले में झूले मेरे त्रिशला के लाल, आंख खुली है जब तक बंदे ये जिंदगी एक सपना है, जपते जपते नमा वीर का भवसागर तिर जाना है, मीठो घणो लागे प्यारो घणो लागे भैरूजी रो नाम.. जैसे भक्ति गीतों से माहौल को भक्तिमय कर दिया। उनके साथ आनंद मराठी ने माता पर तू कितनी अच्छी है… गीत सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया वहीं विनीत के साथ सुरेश भाई ने सुर मिलाया।
कुशल मंच संचालन करते हुए दिनेश शर्मा ने श्रोताओं को भगवान महावीर के जन्म से सम्बन्धित प्रसंग सुनाए तो श्रोता भाव विभोर होकर तालियां बजाने से खुद को नहीं रोक पाए।