चरित्र व्यक्ति का सबसे बडा धन – प्रो. सारंगदेवोत
वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप की 476 वीं जयंती
उदयपुर। भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान नई दिल्ली के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष रामकृष्ण गोस्वामी ने कहा कि भारत ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण महापुरूषों ने मानव के निश्चित कल्याण की वैज्ञानिक विधि कर्मयोग का साक्षात्कार भगवद गीता के अध्ययन एवं चिंतन के बाद किया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा एवं विश्व शांति का ईश्वरीय घोषणा पत्र भगवत गीता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के साथ साथ चरित्र निर्माण करना भी बहुत जरूरी है। हम जो शिक्षा दे रहे हैं लेकिन वह विद्यार्थियों का चरित्र निर्माण नहीं कर रहे हैं। विद्यार्थियों में चरित्र निर्माण हेतु ऐसी शिक्षा दी जाए जिससे उनके चरित्र का निर्माण के साथ व्यक्तित्व का निर्माण भी हो सके।
ये विचार सोमवार को भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान नई दिल्ली एवं राजस्थान विद्यापीठ के सांझे में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की 476 वीं जयंती पर विश्व सुरक्षा मानवाधिकार एवं चरित्र निर्माण का शंखनाद विषयक प्रतापनगर स्थित कम्प्युटर एवं आईटी सभागार में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में व्य क्तर किए।
प्रताप के जीवन चरित्र से प्रेरणा लें युवा : गोस्वामी ने छात्रों का आव्हान किया कि आज के युवा पीढ़ी को वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के जीवन चरित्र को पढ़ना एवं समझना चाहिए। प्रताप के जीवन के आदर्शों को जीवन में उतारने की आवश्यकता पर जोर दिया, क्योंकि प्रताप का जीवन चरित्र जन जन में वीर भावना, सांस्कृतिक चेतना, कर्तव्यबोध, चरित्र निर्माण की भावना के साथ विद्यमान है।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि महाराणा प्रताप, स्वामी विवेकानन्द, छत्रपति शिवाजी, लोकमान्य तिलक का जीवन युवाओं को प्रेरणा देने वाला है। चरित्र व्यक्ति का सबसे बड़ा धन होता है। जिस व्यक्ति के पास चरित्र नहीं होता है, वह सबसे गरीब होता है। चरित्र के द्वारा ही व्यक्ति की पहचान की जाती है। युवाओं को चरित्र निर्माण पर अधिक जोर देना होगा। उन्होंने कहा कि युवाओं को पाश्चात संस्कृति को भूल अपनी मूल संस्कृति को अपनानी होगी ताकि आने वाली पीढ़ी अपनी संस्कृति को नहीं भूल सके।
गुजरात के राजनीतिक एवं सामाजिक चिंतक मानसिंह तोमर ने कहा कि एक शिक्षा तंत्र की आवश्यकता है तो हमारे युवाओं के चरित्र का भली भांति निर्माण कर सके, क्योंकि चरित्रवान व्यक्ति ही समाज की धुरी होता है जिस पर सामाजिक एवं सांस्कृतिक प्रगति का पहिया चलता फिरता है। प्रारंभ में भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान मेवाड संभाग के अध्यक्ष डॉ. राव गोविन्द सिंह भारद्वाज ने अतिथियों का स्वागत करते हुए समारोह की रूपरेखा प्रस्तुत की। धन्यवाद डॉ. महिपाल सिंह राठौड़ ने दिया। समारोह में विद्यापीठ के डीन डायरेक्टर, शहर के प्रबृद्व नागरिक एवं सामाजिक संगठनो के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
मेवाड़ घोषणा पत्र एवं शपथ : डॉ. राव गोविन्द सिंह भारद्वाज ने बताया कि समारोह में छात्र छात्राओं से मेवाड़ घोषणा पत्र का प्रपत्र भरवाया एवं शपथ दिलवाई गई व सुझाव प्राप्त किए।
सम्मान : भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान नई दिल्ली के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष रामकृष्ण गोस्वामी का अतिथियों द्वारा पगड़ी, शॉल, उपरणा एवं अभिनन्दन पत्र देकर सम्मानित किया गया।