एक लाख में से 5 लोगों में होती है यह बीमारी
उदयपुर। शरीर में अतिरिक्त पसली (सर्वाइकल रिब) का होना कभी कभी अभिशाप बन जाता है और इसी अभिशाप से पिछले कई महीनों से परेशान मध्यप्रदेश के नीमच जिले की 21 वर्षीय अनिता को मुक्ति दिलाई है पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल ने।
दरअसल अनिता को गर्दन की हड्डी में थौरेसिक आउटलेट सिन्ड्रोम बीमारी थी जो जन्मजात होती है और सामान्यतः एक लाख में से दस लोगों में पाई जाती है। कुछ मरीजों मे यह एक बहुत परेशानी का सबब बन जाती है। अनिता को कुछ महिनों से हाथ में सुन्नपन एवं रक्त बहना कम होने लग गया था जिसकी वजह से दांये हाथ में कमजोरी आ गई जिसके चलते हाथ पतला एवं सफेद हो गया। दर्द के चलते दिन का समय तो जैसे तैसे कट जाता लेकिन रात को नींद नहीं आती थी। अनिता के परिजनों ने इसे कई जगह दिखाया लेकिन उसे कोई आराम नहीं मिला। पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में डॉ. सालेह मोहम्मद कागजी को दिखाया तो जांच में आया कि महिला को जन्म से ही गर्दन की हड्डी में पसली के उग गई थी जो कि दांये हाथ के खून की नली एवं नसों (ब्रेकियल प्लेक्सस) को दबा रही थी। इसके चलते हाथ में रक्त का प्रवाह कम होने लग गया था एवं नस पर दबाव की वजह से दायां हाथ सुन्न हो गया एवं उसका हरकत करना बन्द हो गया था जिसका ऑपरेशन करना जरूरी हो गया था। डेढ घण्टे तक चले इस सफल ऑपरेशन को अंजाम दिया आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. सालेह मोहम्मद कागजी, डॉ. करूणा शर्मा, बृजेश भारद्वाज एवं टीम ने। इस ऑपरेशन में मरीज की अतिरिक्त पसली को काटकर हटाया गया। ऑपरेशन के बाद अब अनीता के हाथ में रक्त का प्रवाह सामान्य हो गया और दर्द भी खत्म हो गया है।
डॉ. कागजी ने बताया कि इस तरह की बीमारी कभी-कभी पकड़ में नहीं आती क्योंकि अतिरिक्त पसली मौजूद होने के वावजूद दिखती नहीं है या अनभिज्ञता की वजह से अनदेखा कर दिया जाता है। आपेरशन की जटिलता एवं अधिक खर्चे के चलतें मरीज का समय पर इलाज नहीं हो पाता है। गौरतलब है कि इस तरह कि बीमारी उन लोगों में ज्यादा होती है जो सिर से उपर हाथ को बार बार उठाते है। सफाई के दौरान पिन्ची का बहुत ज्यादा इस्तेमाल एवं गेदबाजों में यह बीमारी जिसे थौरेसिक आउटलेट सिन्ड्रोम कहते है हो जाती है।