छह दिवसीय आवासीय शिविर का दूसरा दिन
उदयपुर। मोटीवेशनल गुरु और कैरियर क्राफ्ट एक्सपर्ट एमके जैन ने कहा कि आगे बढ़ने के लिए सफलता आवश्यक है। सफल होने के लिए समय प्रबंधन अति आवश्यक है। टाइम मैनेजमेंट इज लाइफ मैनेजमेंट और इसके साथ रिस्क लेना आना चाहिए। रिस्क नहीं लेना सबसे बड़ी रिस्क है।
वे गुरुवार को गायरियावास स्थित महावीर एकेडमी में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से राज्य एवं जिला स्तरीय मेरिट सूची में आने वाले संभाग भर के डेढ़ सौ से अधिक छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व विकास के लिए आयोजित छह दिवसीय अभिव्यक्ति उन्नयन आवासीय शिविर के दूसरे दिन पहले सत्र में छात्र-छात्राओं को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने सफल और असफल व्यक्तियों के बारे में अंतर बताते हुए कहा कि सफल व्यक्ति जिम्मेदारी लेते हैं जबकि असफल जिम्मेदारी देते हैं। सफल लोगों के जीवन में भी असफलता आती है लेकिन वे घबराते नहीं। उनका सामना करते हैं। साधारण बातें छोड़ दें। जैसे गर्मी लग रही है, रात को कुत्ता भौंक रहा है, लाइट नहीं है, हल्ला गुल्ला हो रहा है… आदि इनसे आपके काम पर कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए। कुत्ता अपना काम कर रहा है, आप अपना काम करें। सर्दी में पानी यदि गर्म नहीं मिला तो कोई बात नहीं ठंडे से ही नहा लीजिए। सफल व्यक्ति परिस्थितियों से लड़ते हैं जबकि असफल परिस्थितियों को भाग्य समझकर छोड़ देते हैं।
उन्होंने कहा कि जीवन एक क्रिकेट मैदान की तरह है। आपके हाथ में बैट है और भगवान बॉलिंग कर रहे हैं। बॉलिंग आपके सामने अवसर के रूप में आती है लेकिन इस मैदान में न तो कोई फील्डर है और न विकेट। इन दोनों के नहीं होने का अर्थ यह कि आप आउट तो होंगे नहीं। आपको खेलना है। धीरे धीरे खेलें। चौक्का, छक्का तो लग जाएगा। मैदान नहीं छोड़ना है। जैन ने सचिन तेंदुलकर का उदाहरण देते हुए कहा कि 2007 में वे बहुत बुरा खेल रहे थे। बांग्लोदश और श्रीलंका के सामने रन नहीं बना पाए। तब देश भर में यह चर्चा हुई कि अब उन्हें क्रिकेट छोड़ देना चाहिए। एकबारगी उन्होंने भी सोचा लेकिन उनके बड़े भाई अजीत तेंदुलकर ने उन्हें समझाया और नतीजा सामने है कि देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न उन्हें मिला। खुद पर विश्वास रखें और खुश रहें, सफलता मिलेगी। पैसे वाला, खूबसूरत होना सफलता का मानक नहीं। सफलता का मानक संतोष है।
उन्होंने कहा कि जीवन में चार कोच बनाएं। कोच के बिना सफलता नहीं मिल सकती। पहले कोच आप खुद, दूसरे आपके पापा-मम्मी, तीसरे आपके अध्यापक और चौथे आपके दोस्त। दोस्त की पहचान करनी होगी कि कौनसा आपका कोच बनने लायक है। आज की दुनिया में छोटी से छोटी इकाई सेकण्ड ही मानी जाती है। दिन, घंटे, महीने में होने वाले काम अब सेकण्ड्स में गिने जाने लगे हैं। स्मार्ट सक्सेज इज ए आर्ट। अच्छे लोगों को सुनिये, अच्छी तरफ जाएंगे। स्मार्ट सक्सेज का अर्थ कम से कम इनपुट और अधिक से अधिक आउटपुट।
दूसरे सत्र में सूचना प्रौद्योगिकी एवं नवीन उद्यम विषय पर विशेषज्ञ डॉ. शंकर चौधरी ने नए उद्यमों में सूचना प्रौ़द्योगिकी तकनीक का उपयोग बताते हुए कहा कि नए उद्यमों में आज आईटी सेक्टर की अहम भूमिका हो गई है। मेन पावर कम और मशीनों की उपयोगिता साबित हो रही है। दोपहर बाद हुए तीसरे सत्र में क्रिएटिव एक्टिविटी पर प्रवीणा जैन ने कहा कि अपने द्वारा किए गए कार्यों में अपनी क्रिएटिविटी झलकनी चाहिए। कुछ न कुछ नया करने का जुनून होना चाहिए। बिना जुनून के यह नयापन नहीं आएगा।
चौथे सत्र में शाम को खेल गतिविधियों को लेकर चुन्नीलाल चंदेरिया ने कहा कि जीवन में जितनी पढ़ाई आवश्यक है, उतनी ही आवश्यक खेल गतिविधियां हैं। खेलों से न सिर्फ शारीरिक विकास होता है बल्कि मन भी खुलता है। यदि सुबह उठकर एक्सरसाइज न कर पाएं तो कोई बात नहीं लेकिन खेलों से भी शरीर की भरपूर एक्सरसाइज हो जाती है।
शिविर संयोजक राजकुमार फत्तावत ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि सुबह 7 से 8 बजे तक संगीता पोरवाल ने आध्यात्मिक सत्र के तहत प्रेक्षाध्यान के प्रयोग करवाए। फीडबैक के बारे में बच्चों का मानना था कि यदि वे शिविर अटैंड नहीं करते तो निश्चय ही बहुत बड़ी भूल करते। सभी अतिथियों का स्वागत विद्यालय के अध्यापक-अध्यापिकाओं ने उपरणा ओढ़ा, स्मृति चिन्ह भेंट कर किया।