महिलाओं को दिलाई स्वच्छता एवं जल संरक्षण की शपथ
उदयपुर। भारतीय संस्कृति में पुरातनकाल से ही सफाई का बहुत अधिक महत्व रहा है विशेषकर गांवों में सफाई को अधिक महत्व दिया गया है। जहां सफाई एवं स्वच्छता होती है वहां देवताओं का वास माना जाता है। इसका तात्पर्य यही है कि देवता हमारे अंदर ही है इसलिए बाहरी स्वच्छता के साथ साथ हमारा मन भी साफ है तो हम ईश्वर को प्राप्त कर सकते है।
ये विचार मंगलवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक श्रेय भारतीय सामुदायिक शिक्षण केन्द्र साकरोदा की ओर से आयोजित दो दिवसीय स्वच्छता एवं जल संरक्षण जागरूकता के समापन पर कुलपति प्रो. एसएस सारंदगेवोत ने मुख्य अतिथि के रूप में व्यूक्तक किए। उन्होंने कहा कि जल है तो कल है इसलिए आने वाली बारीष में अधिक से अधिक जल को संरक्षण करने की आवश्यिकता है। इसके लिए बड़े बड़े गड्डे बना कर इनका संचय किया जा सकता है जिससे जमीन का जल स्तर बढ़ सके। समारोह के अध्यक्ष निदेशक मंजू मांडोत, विशिष्ट अतिथि उग्रसेन राव, सहायक कुल सचिव डॉ. हेमशंकर दाधीच ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन केन्द्र प्रभारी राकेश दाधीच ने किया जबकि धन्यवाद वरिश्ठ व्यवस्थापक हीरालाल चौबीसा ने दिया।
महिलाओं को दिलाई शपथ : राकेश दाधीच ने बताया कि समारोह में आसपास के गांवों की करीब 150 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया जिन्हे अतिथियों द्वारा आपने आस पास की सफाई एवं वर्षाजल संरक्षण की शपथ दिलाई।