विश्व रिकॉर्ड का दावा
उदयपुर। शहर भी अब योगाभ्यास से एक नया कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। उदयपुर के निकटवर्ती कैलाशपुरी के पास रामा गांव के गोपाल डांगी ने कहते हैं इरादे अच्छे व पक्के हो ओर लक्ष्य अटल हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। एक ही जगह पर इतनी देऱ पैरों पर खड़े रहने में भी सोचना पडता है पर डांगी ने द्वितीय अंतराष्टिय योग दिवस पर गाधी ग्राउंड में 121 मिनट तक सिर के बल खडे रहकर जो अब तक इतने समय तक कोई नहीं कर पाया वो इन्होंने कर विश्व रिकार्ड तोड़ दिया है।
गोपाल का जन्म रामा गांव के साधारण परिवार सन् 1986 में हुआ। बचपन से ही मन में कुछ करने का जुनून था सन् 2000 में वो पढ़ाई छोड़ उदयपुर आ गये ओर एक कपड़े की दुकान पर नौकरी करने लगे। 7 साल नौकरी करने के बाद उन्होंने अपनी खुद की दुकान धानमंडी में खोल दी व आज भी वहीं व्यापार करते हैं, परन्तु इनकी इच्छा थी कुछ करने व एक नई पहचान बनाने की वो बताते हैं कि स्वास्थ्य के प्रति उनका जुड़ाव बचपन से ही था। सुबह दौड़ लगाना व्यायाम नियमित करते थे। योग की जानकारी उन्हें नहीं थी न ही स्कूल में योग के प्रति कोई पढ़ाई मिली जिसके कारण वो अनजान थे, परन्तु 2011 में आस्था व संस्कार चेनल पर बाबा रामदेव के कार्यक्रम को देखा तो मन में एक योग के प्रति भावना प्रकट हुए ओर बस ठान ली योग सीखने की।
वो बताते हैं कि टीवी देख कर जब वह सही नहीं सीख पाये तो उन्होंने पतंजलि योग पीठ के पूर्ण कालिक योग प्रशिक्षक अशोक जैन से सम्पर्क किया। जैन व चिकित्सा अधिकारी डॉ शोभालाल औदिच्य से जुड़कर योग कि ट्रेनिंग ली व योग को अपनी नियमित दिनचर्या में उतारा। आज वह खुद नियमित योग करते व उदयपुर में चल रहे नियमित योग आरोग्य शिविर में नियमित निशुल्क क्लास लेकर दूसरों को योग सिखाते हैं। वो बताते हैं कि मैंने सन् 2000 से लगा कर अभी तक कोई भी अंग्रेजी दवाई नहीं खाई।
डांगी बताते हैं कि योग से अपने शरीर को पूर्ण स्वस्थ रखते हुए हम शारीरिक रोग व मानसिक रोग को दूर कर सकते हैं। योग बीमार व्यक्ति के लिए चिकित्सा पद्धति है। स्वास्थ्य आदमी के लिए जीवन पद्धति है व योगियों के लिए एक साधना पद्धति है इसलिए योग हर इंसान को नियमित दिनचर्या में लाकर कम से कम नियमित 1 घंटा योगाभ्यास करना चाहिए।
डांगी बताते हैं कि शीर्षासन के अलावा वे बिना रुके 121 बार सूर्य नमस्कार का अभ्यास कर चुके हैं। इसके अलावा स्कन्धपादासन, एकपादग्रिवासन, तकियासन, पक्षीआसन, गर्भासन, सुप्तगर्भासम, मयूरासन, योगमुद्रासन, सुप्तवज्रासन, कर्णपिडासन, गोमुखासन, मत्स्यआसन, आदि दर्जनों कठिन व सरल आसनों का अभ्यास ये बड़ी सहजता से कर लेते हैं।
डांगी शीर्षासन के लिए बताते हैं कि शीर्षासन करने के लिए जैसे ही हम सिर के बल खडे होते हैं तो नासिका से सास लेने में तकलीफ होती है इसलिए शीर्षासन से पहले नासिका व फेफड़ों को शुद्ध करने के लिए प्राणायाम का अभ्यास निरन्तर करना चाहिए व हाथ, कन्धों, गर्दन व मेरुदंड पर शरीर का भार पड़ता है इसलिए पहले हाथ कन्धे, गर्दन व मेरुदंड के अलग अलग आसनों का अभ्यास करके पूरी तरह से अपने शरीर को तैयार करके अभ्यास करना चाहिए। शरीर माने, जितना धीरे धीरे समय को बढ़ायें। जितनी देर शीर्षासन करें, उतनी देर या तो लेट जाएं या खड़े रहे। भूखे पेट इस अभ्यास को करे।
शीर्षासन करने के बाद दूध जरुर पीयें व उन लोगों को शीर्षासन नहीं करना चाहिए जिनके कान बह रहे हो या कानों की पीड़ा हो। निकट दृष्टि का चश्मा हो। हृदय एवं उच्च रक्तचाप, कमर दर्द, जुकाम, नजला, आदि व भारी व्यायाम करने के बाद भी यह आसन न करें।
शीर्षासन के बाद गृह मंत्री गुलाब चन्द्र कटारिया, जिला कलेक्टर रोहित गुप्ता, अतिरिक्त जिला कलेक्टर ओ पी बुनकर नगर निगम महापौर चन्द्र सिंह कोठारी, ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा एवं सभी अतिथियों ने गोपाल डांगी को सम्मानित किया। व उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी। कुछ स्वयंसेवक संगठनों व योगि भाईयों ने गोपाल डांगी को ईनाम के रूप में राशि दी जिसे डांगी ने कहा कि यह राशि मेरे लिए खर्च न कर के योग की सेवा में खर्च की जाएगी।