प्रसार शिक्षा परिषद् की बैठक
उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की प्रसार शिक्षा परिषद् की वार्षिक बैठक प्रसार शिक्षा निदेशालय में आयोजित हुई। बैठक में वर्ष 2015-16 की कार्य प्रगति की प्रस्तुति, आगामी वर्ष की प्रसार कार्य योजना व प्रौद्योगिकी हस्तान्तरण की रणनीति तैयार की गई।
बैठक में आमंत्रित ख्यातनाम कृषि वैज्ञानिक प्रो. प्रवीण सिंह राठौड़, कुलपति एसकेएन कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर ने कहा कि तकनीकी हस्तान्तरण उन्नत कृषि का महत्वपूर्ण अंग है। उन्होंने जनजाति युवाओं को गांवों में ही रोजगार के उचित साधन उपलब्ध करवाने हेतु तकनीकी जानकारी के हस्तान्तरण में विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने बताया कि सिरोही नस्ल के उन्नत बीजू बकरों, खरगोश पालन, मत्स्य बीज उत्पादन, प्रतापधन सरीखी उन्नत नस्लों के साथ मुर्गीपालन इत्यादि उद्योग धन्धों का उचित प्रशिक्षण एवं तकनीकी ज्ञान युवाओं को रोजगार के सशक्त साधन उपलब्ध करवा सकते हैं।
बैठक में कोटा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो पीके दशोरा ने कहा कि एमपीयूएटी दक्षिणी राजस्थान में कृषि विज्ञान केन्द्रों व प्रसार शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से कृषि विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने किसानों के प्रक्षेत्र पर बीजोत्पादन की कुशल रणनीति बनाने, नवीन कृषि तकनीकी को किसानों तक पहुंचाने व विभिन्न कृषि कार्यों से होने वाले लागत व लाभों की उचित व्याख्या करने व समयबद्ध कृषि साहित्य के प्रकाशन का सुझाव दिया।
अध्यक्षता कर रहे एमपीयूएटी के कुलपति प्रो. उमा शंकर शर्मा ने बैठक में प्रस्तुत विभिन्न कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं प्रसार शिक्षा निदेशालय की कार्य प्रगति एवं भावी योजनाओं पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने देसी नस्लों यथा गिर, राठी, कांकरेज नस्लों की गायों, सिरोही नस्ल की बकरी, उन्नत किस्म के खरगोश, मछली व प्रतापधन नस्ल के मुर्गीपालन को बढ़ावा देने पर जोर दिया। प्रो. शर्मा ने कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से कस्टम हायरिंग द्वारा उन्नत कृषि यंत्रों के अधिकाधिक उपयोग, उन्नत यंत्रों से कृषि में श्रम की बचत एवं उन्नत बीजों के विकास व उद्यानिकी फसलों द्वारा रोजगार के साधन उपलब्ध करवाने की सलाह दी।
बैठक के प्रारम्भ में निदेशक प्रसार शिक्षा निदेशालय प्रो. जीएस तिवारी ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया। उन्होंने गत वर्ष की प्रगति प्रतिवेदन सदन के समक्ष प्रस्तुत किया एवं आगामी वर्ष की रूपरेखा भी प्रस्तुत की। उन्होंने प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा विभिन्न परियोजनाओं की प्रगति प्रस्तुत की। उन्होंने विगत वर्ष में विश्वविद्यालय के माध्यम से आयोजित विभिन्न किसान मेलों, संगोष्ठियों, कृषक प्रशिक्षण, प्रथम पंक्ति प्रदर्शन, बीज उत्पादन एवं वितरण, उन्नत पशुपालन तकनीकों इत्यादि गतिविधियों से सदन को अवगत कराया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. जीएस आमेटा ने सीड सर्टिफिकेशन की व्यवस्था करने, वाटर हार्वेस्टींग स्टेªक्टर की स्थापना व कृषि द्वारा कौशल विकास की बात कही। प्रभारी, कृषि प्रौद्योगिकी सूचना केन्द्र व समन्वयक ग्राम पंचायत छाली, डॉ. आईजे माथुर ने विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिये गये ग्राम छाली, कडेचावस व उण्डीथल में हाल ही में किये गये कृषि विकास कार्यों पर प्रकाश डाला।
बैठक में प्रगतिशील कृषक जगदीश प्रसाद प्रजापत, गांव-बागरेडा (निम्बाहेड़ा) ने स्ट्राबेरी, सफेद मूसली एवं प्याज के बीज उत्पादन, पौली हाउस मे खीरा व शिमला मिर्च के उत्पादन की सफल खेती के बारे में बताया। प्रगतिशील कृषक सम्पत जाट, गांव-लखियाखेड़ी (राजसमंद) व हन्तो देवी, गांव-जालिमपुर (बांसवाड़ा) ने भी अपनी सफलता सदन के साथ साझा की। संचालन डॉ. लतिका व्यास एवं धन्यवाद डॉ. पीसी चपलोत ने किया।