रंगशाला में नाटक ‘सराय’ का भावपूर्ण मंचन
उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित मासिक नाट्य संध्या ‘रंगशाला’ में प्रख्यात कहानीकार पद्मश्री विजयदान देथा की कहानी पर आधारित नाटक ‘‘सराय’’ का मंचन जबलपुर के कलाकारों द्वारा किया गया जिसमें नाटक का मंचन जहां बेहतरीन बन सका वहीं लोक तत्वों के साथ एक सुंदर और मर्मस्पर्शी कहानी का उत्कृष्ट मंचन किया गया।
शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में मंचित इस नाटक का निर्देशन अशीष पाठक द्वारा किया गया। नाटक की कहानी एक कुम्हार पर केन्द्रित थी जिसे गांव का सेठ एक सराय की देखभाल के लिये रखता है तथा उसका एक बेटा है जिसे एक सेठ अपने साथ व्यापार के लिये जाता है। इधर सराय में काम करते-करते कुम्हार रामधन के मन में लालच जागता है और वो वहां आने वाले सेठों को मार कर उनका धन लूटने लगता है। इसह लालच के चलते एक दिन अचानक उसका बेटा लौटता है और लालच के चलते उसे भी मार देता है। नाटक की कथा जहां सशक्त थी वहीं निर्देशक आशीष पाठक ने प्रत्येक पात्र के जरिये कथा के मर्म को उभारने का श्रेष्ठ प्रयास किया। नाटक के कई दृश्य लुभावने और मोहक बन सके। चोपड़ा ले कर संवाद करने के साथ-साथ गीतों के माध्यम से कथा को उभाने में बल मिल सका। नाटक का संगीत और प्रकाश संयोजन प्रबल पक्ष बन सके।
नाटक के पात्रों में रामधन के किरदार में अमित विश्वकर्मा और धनिया की भूमिका में ज्योत्सना कटारिया का अभिनय लाजवाब बन सका। सहज और भावपूर्ण दृश्यों में इनकी भाव प्रवणता दर्शकों के मानस पटल पर छा गई। रामू के रूप में कृश और यशस्वी, सेठ के किरदार में संजयपाण्डे और अभिषेक राजपूत का अभिनय दर्शकों द्वारा पसंद किया गया वहीं सेठानी की भूमिका में लालसा कनौजे का अभिनय प्रभावी बन सका। नाटक में लोक तत्वों का प्रयोग श्रेष्ठ ढंग से किया गया मांगणियारों के साथ कालबेलिया नर्तकी की भूमिका में शिवानी कश्यप् ने अपने नर्तन और लावण्य का जादू बिखेरा।