स्वैच्छिक आय घोषणा योजना पर आयकर विभाग के अधिकारियों के साथ परिचर्चा
उदयपुर। प्रत्येक व्यवसायी अपने व्यवसाय को अधिक से अधिक समय देना चाहता है। कोई भी व्यवसायी अपना धन एवं समय टैक्सेशन सम्बन्धी केस, टैक्स डिपार्टमेन्ट तथा कोर्ट के चक्कर काटने, वकीलों की फीस चुकाने तथा भारी जुर्माना भरने जैसे बेकार के पचडों में बरबाद करना नहीं चाहेगा। इन सबसे बचने के लिये जरूरी है कि सभी लेनदेन ऑन लाईन एवं पारदर्शी हो तथा आपकी समस्त आय एक नम्बर में यानि व्हाईट इनकम हो। ऑन लाईन लेनदेन आज के समय की मांग है तथा आने वाले समय में सभी लेनदेन ऑन लाईन ही होंगे।
ये विचार मुख्यल आयकर आयुक्तन नीना कुमार ने संभाग के उद्यमियों एवं व्यवसायियों के साथ चर्चा के दौरान व्यक्त किये। वे स्वैच्छिक आय घोषणा विषयक सेमिनार में मुख्य वक्ता थी। आयकर विभाग की आयुक्त (अपील) वन्दना वर्मा एवं आयकर अधिकारी भैरा राम चौधरी भी सेमिनार में उपस्थित थे।
उन्होंरने बताया कि यह योजना सभी के लिये है। अघोषित आय की घोषणा करने हेतु 1 जून 2016 से 30 सितम्बर 2016 तक का समय दिया गया है। अघोषित आय में चल एवं अचल सम्पत्ति की घोषणा करने का भी प्रावधान रखा गया है। उक्त अघोषित आय 31 मार्च 2016 तक अथवा इससे पूर्व कभी भी अर्जित की गई हो सकती है।
यदि किसी व्यक्ति ने स्वयं की सम्पत्ति दूसरे के नाम से जमा कर रखी है एवं योजना के तहत घोषित की है तो 30 सितम्बर 2017 तक इसे स्वयं के नाम स्थानान्तरित करवाना होगा। इस पर सभी टैक्स शामिल करते हुए कुल 45 प्रतिशत टैक्स देना होगा। टैक्स को जमा कराने हेतु 30 नवम्बर 2016 तक का समय है। आयकर विभाग इस योजना के तहत घोषित की गई आय से सम्बन्धीत जानकारी किसी भी अन्य टैक्सेशन डिपार्टमेंट के साथ साझा नहीं करेगा तथा समस्त जानकारी गोपनीय रखी जायेगी।
प्रश्नकाल के दौरान केएस मोगरा, वीरेन्द्र सिरोया, अंशुल मोगरा आदि ने योजना के सन्दर्भ में प्रश्न पूछे जिनका मुख्य आयकर आयुक्त महोदया ने समाधान किया। कुछ उद्यमियों द्वारा 45 प्रतिशत टैक्स को ज्यादा बताने पर श्रीमती नीना कुमार ने समझाया कि 10 लाख की आय पर 30 प्रतिशत आयकर, 4.5 प्रतिशत सेस एवं अन्य टैक्स जोड़ने पर लगभग 40 प्रतिशत टैक्स सामान्यतः चुकाना ही पड़ता है। अतः योजना के तहत मात्र 5 प्रतिशत टैक्स सरकार द्वारा अतिरिक्त लिया जा रहा है। इसके विपरीत अघोषित आय पकड़े जाने पर 100 प्रतिशत टैक्स के अलावा पेनल्टी एवं ब्याज को जोड़ने पर लगभग 300 प्रतिशत तक टैक्स चुकाना पड़ सकता है। केस लम्बा चलने पर होने वाली मानसिक परेशानी तथा धन का अपव्यय अलग से झेलना पड़ता है।
नीना कुमार ने स्वीकार किया कि देश की विभिन्न विकास योजनाओं को मूर्त रूप प्रदान करने के लिये धन की आवश्यकता है एवं यह धन राशि सरकार राजस्व के माध्यम से ही जुटाती है। उदयपुर सम्भाग के उद्यमियों एवं व्यवसायियों के प्रोफेशनल दृष्टिकोण की सराहना करते हुए श्रीमति नीना कुमार ने कहा कि एवं देशभक्ति यहां के निवासियों खून में है तथा ईमानदारी से टैक्स देकर आप देश के विकास में अपना योगदान प्रदान करते हैं।