प्रेक्षावाहिनी का गठन, आमजन के लिए प्रति रविवार होंगे प्रेक्षाध्यान के प्रयोग
उदयपुर। साध्वी कीर्तिलता ने कहा कि न फूलमालाओं से और न ही नारों से बल्कि संतों का स्वागत तो सद्विचारों से होता है। चातुर्मास में स्वकल्याण के साथ परकल्याण का भी प्रयास करें। जब तक अध्यात्म की भूख नहीं होगी, तब तक जीवन सफल नहीं हो सकता।
वे गुरुवार को बिजौलिया हाउस स्थित तेरापंथ भवन में चातुर्मासिक मंगल प्रवेश पर आयोजित स्वागत समारोह को संबोधित कर रही थीं। इससे पूर्व उनके प्रवेशस्वरूप आठों दिशाओं में व्याप्त हर्ष सम्बन्धी नाटिका प्रस्तुत की गई। इस अवसर पर तेरापंथी सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने प्रेक्षावाहिनी के गठन की घोषणा की।
साध्वी श्री ने कहा कि प्रवेश मंगल क्यों? क्योंकि इसमें धर्म की आराधना होती है। जो जिंदगी से उब जाते हैं, वे गुरु चरणों में आ जाते हैं। पानी का बहाव अपनी ही धुन में बहता जाता है लेकिन यदि उसमें नहर, नाले बना दिए जाएं तो वह कई के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। संतों की वाणी को कोई बांध नहीं सकता। धर्म की श्रृंखला टूटे नहीं इसलिए प्रतिवर्ष चातुर्मास का आयोजन होता है। जो मोह की नींद में सोए रहते हैं, उनके लिए चातुर्मास होता है। धर्मसंघ तो हमारा रक्षक है, कवच है। संघ में आने पर अभय मिलता है।
सभाध्यक्ष फत्तावत ने साध्वीवृंदों का स्वागत करते हुए कहा कि आचार्य प्रवर ने ठाणा-4 का चातुर्मास फरमाया लेकिन उदयपुर सौभाग्यशाली है कि दो साध्वीवृंदों साध्वी गौरवयशा और साध्वी नवीनप्रभा का चातुर्मास अतिरिक्त मिला है। साध्वी कीर्तिलता के नेतृत्व में साध्वी शांतिलता, साध्वी पूनमप्रभा और साध्वी श्रेष्ठप्रभा ने चातुर्मास से पूर्व उदयपुर के उपनगरों में पहुंचकर श्रावक समाज को संभाला। जिस तरह धर्मसंघ में संतों-साध्वियों के लिए नियम, उपनियम बने हुए हैं ठीक उसी तरह श्रावक-श्राविकाओं के लिए भी मर्यादाएं हैं। पूरे चातुर्मास में उन मर्यादाओं का पालन करते हुए साध्वीश्री का चातुर्मास सफल बनाएं। ज्ञानशाला का यह रजत जयंती वर्ष है।
फत्तावत ने इस अवसर पर प्रेक्षावाहिनी के गठन की घोषणा करते हुए सभा के उपाध्यक्ष सुबोध दुग्गड़ को संवाहक एवं संगीता पोरवाल व चन्द्रप्रकाश पोरवाल को सहसंवाहक नियुक्त करने की घोषणा की। फत्तावत ने कहा कि प्रति रविवार तेरापंथ भवन में सुबह 6.15 से 7.15 तक प्रेक्षाध्यान के प्रयोग कराए जाएंगे। इसमें सर्व समाज के लोग हिस्सा ले सकेंगे।
इस दौरान तेरापंथ महिला मंडल की सदस्याओं ने चारों दिशाओं के स्वरूप में देवलोक से मृत्युलोक पर आकर साध्वी श्री के चातुर्मासिक मंगल प्रवेश पर हर्ष व्यक्त करते हुए नाटिका प्रस्तुत की। इससे पूर्व धर्म की ओर आकृष्ट करने के लिए साध्वीवृंदों ने कन्या मंडल की बालिकाओं के साथ विभिन्न उपवास, तैले, नवकारसी आदि करने सम्बन्धी प्रेरणा दी।
सभा के मंत्री सूर्यप्रकाश मेहता ने साध्वीवृंदों का जीवन परिचय दिया। नवगठित प्रेक्षावाहिनी के संवाहक सुबोध दुग्गड़ ने आचार्य महाप्रज्ञ के दिए प्रमुख अवदान प्रेक्षाध्यान के बारे में जानकारी देते हुए सभाध्यक्ष का आभार व्यक्त किया। तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष राकेश नाहर ने स्वागत उद्बोधन दिया। आरंभ में ज्ञानशाला की बहनों ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। साध्वी शांतिलता ने प्रेक्षाध्यान के प्रयोग कराए। आभार सभा के मंत्री सूर्यप्रकाश मेहता ने व्यक्त किया।