उदयपुर। ठाकुर अमरचन्द बड़वा विचार मंच के तत्वावधान में रियासतकालीन मेवाड़ के पूर्व प्रधानमंत्री ठाकुर अमरचन्द बड़वा की 295वीं जयंती पर पांच दिवसीय कार्यक्रमों का आगाज शनिवार को वाहन रैली से हुआ।
प्रवक्ता डॉ. अनिल शर्मा ने बताया कि सुबह 8 बजे दूध तलाई स्थित माणिक्यलाल वर्मा पार्क में उदयपुर नगर निगम द्वारा ठाकुर अमरचन्द बड़वा के कार्यो की सराहना में लगी प्रषस्ति स्थल पर पुष्पांजलि सभा का आयोजन हुआ जिसमें दिनेश भट्ट, प्रो. केएस शर्मा, प्रो. विमल शर्मा, ड़ॉ. राजेन्द्रनाथ पुरोहित, अम्बालाल सनाढ्य, कैलाश आचार्य, जगदीश गौड़, जयकिशन चौबे, निखिल श्रीवास्तव, इन्दर सिंह राणावत (जोलावत) ने विचार व्यकक्तश किए। सुबह 8.30 बजे वाहन रैली को मोहन लाल सुखाडिया विष्वविद्यालय एवं महाराणा प्रताप कृषि विश्वमविद्यालय के कुलपति प्रो. उमाशंकर शर्मा ने झण्डा दिखाकर रवाना किया। रैली शहर के मुख्य मार्गो से होती हुई आयड़ स्थित महासतिया पहुंची। पूरे मार्ग में ‘अमरचंद बड़वा अमर रहे।‘ रैली का नेतृत्व जगदीश राज श्रीमाली, पंकज शर्मा, दिनेश श्रीमाली, विजय याज्ञिक, सुनील व्यास, विक्रम मेनारिया, इन्दरलाल मेनारिया, प्रशान्त श्रीमाली, राजेन्द्र प्रसाद सनाढ्य, प्रमोद शर्मा, ओम प्रकाश सनाढ्य, चन्द्र प्रकाश शर्मा, दिलीप शर्मा, देवेन्द्र बड़वा, आशीष बड़वा आदि ने किया।
सुबह 10 बजे यह रैली महासतिया स्थित ठाकुर अमरचन्द बड़वा की छतरी पर पहुंची जहां नागदा समाज की ओर से पुष्पांजलि कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसका संयोजन नटवर लाल शर्मा ने किया। विचार मंच सह संयोजक जयकिशन चौबे ने बताया कि राजस्थान ब्राह्मण महासभा के देहात अध्यक्ष किशन त्रिवेदी एवं शहर अध्यक्ष शिव शंकर पालीवाल के नेतृत्व में सुंदर कांड का आयोजन हुआ। इसमें जमनालाल दषोरा सपत्निक, ललित सनाढ्य आदि इसमें विप्र फाउण्डेशन के संभाग अध्यक्ष केके शर्मा, हिम्मत लाल नागदा, पार्षद जगत नागदा, देवीलाल नागदा, ललित नागदा ने सहयोग दिया। जगत नागदा ने टेंट-जल व्यवस्था सहयोग दिया। इसमें जगपाल सिंह बारहठ, ओम माली, रवि शर्मा, मदन पालीवाल, अरुण पाण्डे, गजेन्द्र सनाढ्य, सुनील कुमार दाधीच, खुशवंत सिंह आदि ने सहयोग किया।
कौन थे ठाकुर अमरचन्द बड़वा : ठाकुर अमरचन्द बड़वा मेवाड़ के यशस्वी, समर्पित एवं राष्ट्र-स्वामीभक्त प्रधानमंत्री एवं सेनापति थे। ये चार महाराणाओं के काल में 1751 ई. से 1775 ई. तक प्रधानमंत्री रहे। ये महाराणा प्रताप द्वितीय, राजसिंह द्वितीय, अरिसिंह द्वितीय एवं हम्मीर सिंह द्वितीय के कार्यकाल में लगातार प्रधानमंत्री रहे। इन्होंने मेवाड़ को संकट कालीन परिस्थिति में अपनी सूझबूझ से मेवाड़ की स्वाधीनता को अक्षुण्ण बनाये रखा। जिसके एवज मंक महाराणा ने खुश होकर इन्हें ठाकुर का खिताब देकर कई जागीरें दी। 1769 ई. में क्षिप्रा युद्ध मं् मेवाड़ की सेना की हार एवं मेवाड़ के प्रमुख सरदार-सामंतों के मारे जाने के बावजूद अल्प समय में मेवाड़ की विशाल सेना तैयार कर ली तथा छः माह तक मराठा शासक सिंधिया को उदयपुर में घुसने नहीं दिया। अन्ततः उसे अपनी शर्तों पर संधि का मजबूर किया। इन्होंने गणगौर घाट स्थित बागोर की हवेली, त्रिपोलिया, अमरकुण्ड़, अमरओटा, अमरेष्वर महादेव एवं अमर नारायण के मंदिर, बडा रामद्वारा तथा उदयपुर के चारों ओर 9 किमी लम्बी शहरपनाह का निर्माण कराकर उदयपुर को अद्वितीय ऐतिहासिक विरासतें दी। इन्होंने ही 40 किमी दूर स्थित अमरचंदिया तालाब का भी निर्माण कराया। 12 वर्ष के महाराणा हम्मीर सिंह द्वितीय के समय राजमाता सरदार कुंवर के द्वारा प्रताडित करने एवं बालक महाराणा के बालपन का लाभ लेकर घर भर लेने जैसे उलाहने की प्रतिक्रिया में इन्होंने अपने घर का सारा धन- दौलत, हीरे जवाहरात सभी कुछ स्वयं ही राजकोष में ले जाकर जमा करा दिया तथापि राजनैतिक षडयंत्र के तहत इन्हें विष देकर मरवा दिया गया। ब्रिटिश इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड ने लिखा है कि ठाकुर अमरचन्द बड़वा के निधन पर इनके घर से कफन जितना कपडा भी नही मिला तथा इनकी उत्तर क्रिया जनता ने चंदा कर के की।