माता पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एक्ट पर सेमीनार का समापन
उदयपुर। बुजुर्गों की सेवा न सिर्फ हम सब का दायित्व है बल्कि परमार्थ भी है। वृद्धावस्था मानव जीवन में एक नये अध्याय की शुरूआत है जो हर व्यक्ति के अपने जीवन में आती है। इस आयु में व्यक्ति व्यवहारिक ज्ञान एवं अनुभवों से परिपूर्ण होता है इसलिए परिवार के हर सदस्य को बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए।
ये विचार एमपीयूटी के कुलपति प्रो. उमाशंकर शर्मा शनिवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय की ओर से ‘‘माता पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007’’ के 10 वर्षीय कार्यक्रमों की समीक्षा विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार में समापन पर वयक्त किए। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि संयुक्त परिवार की नीव प्रेम विश्वास पर आधारित होती है। परिवार हमारे जीवन की धुरी है, यहीं से हमारे संस्था एवं जीवन के लिए उर्जा मिलती है। परिवार से ही हम भावात्मक आधार ग्रहण करते है उन्होने कहा कि संयुक्त परिवार से हमे जितनी भावनात्मक सुरक्षा मिलती है उतनी ओर कही नहीं मिल सकती है अतः हम मिल जुलकर रहेंगे तो बुजुर्गों का सम्मान बना रहेगा। संचालन डा. हिना खान ने किया।