उदयपुर। विद्या भवन गांधी शिक्षा अध्ययन संस्थान एवं गांधी शान्ति प्रतिष्ठान के संयुक्त तत्वावधान में 6 अगस्ता को हिरोशिमा दिवस पर मारे गये नागरिकों को श्रद्धाजंलि अर्पित की गई।
प्राचार्य डॉं. सुगन शर्मा ने अतिथियों का परिचय दिया तथा कार्यक्रम के प्रारम्भ में हिरोशिमा दिवस से सम्बन्धित मार्मिक दृश्य प्रस्तुत करते हुये भावी छात्राध्यापकों को सम्बोधित किया। तथा मानवता का विंध्वस किस प्रकार हुआ उस पर पुनः प्रकाश डालते हुये भावी छात्राध्यापकों को आहवान किया कि वर्तमान में जो अशान्ति का परिदृश्य है न्याय-अन्याय सुख-दुख तथा जय-पराजय पर ध्यान दिये बगैर शान्ति बनाये रखने में अपनी आहुति प्रदान करें। कार्यक्रम संयोजिका सुषमा इण्टोदिया ने इस दिवस का विस्तृत परिचय प्रस्तुत किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में विद्या भवन सोसायटी के अजय मेहता ने कहा कि युद्ध के परिणामों को अन्तर्राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में सोच कर अपने स्तर पर शान्ति कायम करने के कार्यो को करना जरुरी बताया।
मुख्य वक्ता जिला कल्याण अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल गुमान सिंह राव ने हिरोशिमा नागासाकी के विनाश की घटना के समय का भौगोलिक राजनैतिक परिदृश्य मानचित्र द्वारा प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि गलतियों से सबक लेने के लिये हर पीढ़ी को विश्व इतिहास व भूगोल को जानना जरूरी है। संयम ही एक ऐसा गुण है कि पूरे विश्व से भारत को एक अलग भूमिका के रुप में स्थापित करता है। मानव की सोच में सकारात्मकता व नकारात्मकता में सतुंलन होना आवश्यक है। किसी भी बात की अति वर्जित है।
विद्या भवन सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष रियाज तहसीन ने लियो टॉल्सटॉय के चार शब्दों आप किसी को मारेंगे नहीं समझाते हुये कहा कि अहिंसा ही विश्व शान्ति को स्थापित करने में एकमात्र कारक है। लालच व भय से दूर रहकर शेयर एण्ड केयर की भावना को आज की पीढ़ी में बढ़ावा देने की जरुरत है।
प्रो. एमपी शर्मा ने आज के विद्यार्थियों के मस्तिष्क में शिक्षा के माध्यम से शान्ति की नींव डालने पर बल दिया। विद्या भवन कला संस्थान शिक्षक प्रशिक्षण विद्यालय की प्राध्यापिका मीना कालरा तथा विद्यार्थी ओमसिंह ने जापान की त्रासदी पर आधारित स्वरचित कविता पाठ प्रस्तुत किया। संचालन व आभार प्रर्दशन डॉं. कुमुद पुरोहित द्वारा किया गया।