मौलिक कर्तव्य एवं साक्षरता पर विधिक जारूकता कार्यशाला
सामाजिक कुरीतियों को त्यागने का लिया संकल्प
उदयपुर। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक विधि महाविद्यालय अरण्य भारती केन्द्र नाई सेंटर की ओर से शुक्रवार को उच्च माध्यमिक विद्यालय नाई में शिक्षा का अधिकार विषयक पर कार्यशाला का उद्घाटन हुआ।
उदघाटन कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत, कुलप्रमुख भंवरलाल गुर्जर, विशिष्टथ अतिथि नाई थाना अधिकारी नाथू सिंह, प्रधानाचार्य गायत्री आमेटा एवं प्राचार्य कला मुणेत, केन्द्र प्रभारी डॉ. कौशल नागदा ने किया। स्वागत उद्बोधन प्राचार्य कला मुणेत ने दिया। अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि शिक्षा को संस्कार एवं जीवन मूल्यों से जोड़े। साक्षरता एक मानव अधिकार है, समाज तथा व्यक्ति के विकास एवं सशक्तिकरण का मार्ग है। गरीबी उन्मूलन के लिए बाल मृत्यु दर को कम करने के लिए जनसंख्या वृद्धि का नियंत्रण में रखने के लिए स्त्री-पुरूष में समानता केा बढावा देने के लिए सतत विकास, शांति एवं लोकतंत्र की सुनिश्चिता के लिए बच्चों में शिक्षा आवश्यक है। विद्यापीठ के संस्थापन पं. जनार्दनराय नागर ने विद्यापीठ की स्थापना 1937 से ही ध्येय रहा कि मेवाड़ के आदिवासी अंचल में ग्रामीणों में शिक्षा की अलख जगाने का कार्य करने हेतु ग्रामीण अंचलों में जनभारती केन्द्रों की स्थापना की उसी उद्देश्य को आगे बढ़ाते हुए आमजन के स्वास्थ को देखते हुए इन केन्द्रों पर चिकित्सा सुविधा की भी उपलब्ध कराई जिससे आमजन को इसका लाभ मिल सके।
कुल प्रमुख भंवरलाल गुर्जर ने कहा कि शिक्षा सभी के लिए जरूरी है और आम जन का अधिकार भी है। उन्होने कहा कि गांवों में प्रचलित सामाजिक कुरूतिया, मोताणा, बाल विवाह, मृत्यु भोज, डायन प्रथा इन सभी पर रोक लगाई जाये। प्राचार्य डॉ. कला मुणेत ने छात्रों को घरेलू हिंसा, उपभोक्ता संरक्षण का अधिकार, जीवन जीने का अधिकार, बाल श्रम, मानव तस्करी, डायन प्रथा आदि के बारे में जानकारी दी। संचालन डॉ. दीपक व्यास ने किया जबकि धन्यवाद डॉ. कौशल नागदा ने किया। विधि महाविद्यालय के छात्र स्वीटी जैन, भूपेन्द्र चौहान एवं गणेश चौहान ने भी विधिक जानकारी दी।