तेरापंथी सभा के पर्यूषण 30 से, बहेगी धर्मगंगा
उदयपुर। साध्वी कीर्तिलता ठाणा-4 ने कहा कि कर्ज, मर्ज और फर्ज तीन के प्रति सावधानी रखनी चाहिए। कर्ज यानी ऋण। ऋण पैसे, कर्म, संस्कार, सेवा, परंपरा, कर्तव्य आदि बहुत तरह के होते हैं। किसी भी तरह के कर्ज से बचना चाहिए। पैसे और कर्म का ऋण साथ साथ चलता है और अगले भव तक रहता है। तेरापंथ धर्मसंघ के पर्यूषण मंगलवार से आरंभ होंगे।
वे रविवार को अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में आध्यात्मिक प्रवचन को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि कर्मों के ऋण इस जन्म में समाप्त नहीं हो सकते। प्रयास किए जा सकते हैं। प्रयास करें कि कम से कम पैसे का ऋण तो यहां से लेकर न जाएं। दूसरे नहीं तो तीसरे भव में तो उतारना ही पड़ता है। उन्होंने एक सेठ की कहानी बताते हुए कहा कि तीनों बेटों का सेठ और सेठानी के सामने ही स्वर्गवास हो गया। महात्मा से पूछने पर उन्होंने बताया कि किस तरह उन्होंने अपने नौकर, श्वसुर के साथ अत्याचार किए और इसी भव में उन्होंने बेटे के रूप् में जन्म लिया और उनके सामने ही उनका अल्पायु में ही देहावसान हो गया। अन्य साध्वीवृंदों साध्वी शांतिलता, साध्वी पूनमप्रभा और साध्वी श्रेष्ठप्रभा ने गीतिका प्रस्तुत की। बच्चों ने नाटक के माध्यम से संघ के चतुर्थ आचार्य जयाचार्य के निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में लघु नाटिका प्रस्तुत की। कार्यक्रम में हेमलता चव्हाण के 45 दिन की निरंतर तपस्या करने पर अनुमोदना की गई। उषा चव्हाण ने परिवार की ओर से विचार व्यक्त किए।
सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने बताया कि 30 अगस्त से पर्यूषण की धर्मगंगा बहेगी। 30 अगस्त को खाद्य संयम दिवस, 31 को स्वाध्याय दिवस, 1 को सामायिक दिवस, 2 को वाणी संयम दिवस, 3 को अणुव्रत चेतना दिवस, 4 को जप दिवस, 5 को ध्यान दिवस, 6 को संवत्सरी महापर्व एवं 7 सितम्बर को मैत्री दिवस मनाया जाएगा।
तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष राकेश नाहर ने बताया कि युवक परिषद के तत्वावधान में प्रतिदिन शाम को विविध स्पर्धाओं का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम का संयोजक दीपक सिंघवी को बनाया गया है। आभार सभा के सचिव राजेन्द्र कुमार बाबेल ने व्यक्त किया।