श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के पर्यूषण का तीसरा दिन सामायिकी दिवस
उदयपुर। पर्यूषण के तहत अध्यात्म सप्ताह में तीसरे दिन सामायिक दिवस के रूप् में मनाया गया। इसमें केन्द्र के निर्देशानुसार अभिनव सामायिक का विशेष कार्यक्रम रहा। एक दिन में करीब दो हजार बीस सामायिक हुई।
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के मंगलवार से आरंभ हुए पर्वाधिराज पर्यूषण के तीसरे दिन साध्वी कीर्तिलता ठाणा-4 ने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि अध्यात्म जगत में विजय पाना है तो ‘मैं’ को त्यागना होगा। इस ‘मैं’ ने बड़े-बड़े महाराजाओं, शहंशाहों को रसातल में ढकेल दिया। व्यवहार के धरातल पर भी देखें तो ‘मैं’ करने वाला बकरा मौत के घाट उतार दिया जाता है। आपने कहा कि सफलता का रास्ता कोई शॉर्टकट नहीं होता, वह तो राजमार्ग से ही प्राप्त किया जा सकता है। अतः जरूरत है अहंकार को त्यागने की जो अहं को त्यागता है वही अर्हम बन सकता है। आपने विशाल जनमेदिनी को आह्वान करते हुए कहा कि जब तक सिग्नल डाउन नहीं होगा, ट्रेन प्रवेश नहीं कर सकती ठीक उसी प्रकार परमात्मा की ट्रेन भी तभी प्रवेश करेगी जब अहंरूपी सिग्नल डाउन होगा।
भगवान महावीर के 27 भवों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान महावीर का जीव मरीचि के भव में थोड़े से अहंकार के कारण भव भ्रमण को बढ़ा देता है। गुरुदेव तुलसी रचित समता का सागर आख्यान का वाचन करते हुए कहा कि श्रीकृष्ण तीन खण्ड के अधिपति होने के बावजूद अपनी मां को प्रणाम करते थे।
साध्वी शांतिलता ने सामायिकी दिवस पर सबको अभिनव सामायिक विधिवत कराई। साध्वी श्री पूनमप्रभा ने सामायिक को अलौकिक शांति का जागरण बताते हुए कहस कि ब्रह्ममुहूर्त में सामायिक करने से पीयूष ग्रंथि से अमृत का स्राव होता है तथा उन्होंने सामायिक किस दिशा में व क्यों करनी चाहिए, इस पर विशेष प्रवचन दिया। कार्यक्रम का आरंभ सभा के कर्मठ कार्यकर्ताओं द्वारा हुआ। सभा के उपाध्यक्ष सुबोध दुग्गड़ ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया।