राष्ट्रव्यापी औद्योगिक हड़ताल, बंद रहे बैंक, ऑटो
उदयपुर। देश के प्रमुख 10 केन्द्रीय श्रम संघों द्वारा 12 सूत्री मांग को लेकर राष्ट्रव्यापी हड़ताल के आव्हान के तहत उदयपुर में इंटक, एटक, सीटू, एक्टू, एचएमएस, बैंक, बीमा, सड़क परिवहन, ऑटो यूनियन एवं आशा सहयोगिनियों के करीब 4 हजार श्रमिकों द्वारा टाउन हॉल से रैली निकाली गई है, जो झीणीरेत, मुखर्जी चौक, घण्टाघर, हाथीपोल, अश्विनी बाजार, देहलीगेट होते हुए कलेक्ट्री पर सभा में परिवर्तित हो गई।
केन्द्रीय श्रमिक संगठनों की समन्वय समिति के संयोजक पी.एस.खींची ने बताया कि बड़ी संख्या में श्रमिक अपने हाथों में अपने यूनियन के झण्डे बैनर लेकर केन्द्र व राज्य सरकार की जनविरोधी, श्रमिक-कर्मचारी विरोधी नीतियों के विरूद्ध नारे लगा रहे थे।
कलेक्ट्री पर हुई आमसभा की अध्यक्षता मेघराज तावड़ ने की। सभा को सम्बोधित करते हुए पी.एस.खींची ने कहा कि श्रमिकों के लम्बे संघर्ष एवं कुर्बानियों के बाद हासिल किये गये अधिकारों पर केन्द्र व राजस्थान राज्य सरकार द्वारा कुठाराघात करने एवं शोषण की नीति अपनाई जा रही है। सरकार नव उदारवादी आर्थिक नीतियों को तेजी से लागू करने में जुटी हुई है। बेतहाशा बढती महंगाई, केन्द्र व राज्य सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र में विदेशी निवेश को खुली छूट एवं किसानों की भूमि कोड़ियों के दाम में अधिग्रहित कर पूंजीपतियों को सौंपने के लिए तैयार है। केन्द्र द्वारा बैंक, बीमा, रेल्वे, रक्षा, परिवहन, ऊर्जा जैसे क्षेत्र में असीमित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ.डी.आई.) के द्वारा खोले जा रहे हैं, जो घातक कदम है। सरकार ने ट्रेड यूनियन एक्ट 1926, औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947, कारखाना एक्ट 1948, संविदा अधिनियम 1970 में श्रमिक विरोधी बदलाव किए हैं, जो मेहनतकश जनता को कतई मंजूर नहीं।
सभा को सम्बोधित करते हुए इंटक के नारायण गुर्जर, सतीश व्यास, चन्दा सुहालका एवं ख्यालीलाल मालवीय ने कहा कि केन्द्र की तर्ज पर राज्य के सरकारी उपक्रम बिजली, जलदाय विभाग, रोड़वेज, निगम बोर्ड आदि को पी.पी.पी. मोड पर देने, कारखानों में हॉयर एण्ड फॉयर के सिद्धान्त लागू करने का अधिकार कारखाना मालिकों को दे दिये हैं। प्रस्तावित लघु फैक्ट्रियां (सेवा स्थितियों का विनियमन) बिल कहता है कि 40 श्रमिकों वाली फैक्ट्रियों पर 14 प्रमुख श्रम कानून लागू नहीं होंगे, मालिकों को छंटनी, तालाबंदी की पूरी छूट देने के प्रयास है। आईएलओ कन्वेंशन 144 के प्रावधानों का उल्लंघन है। ये सभी संशोधन 90 प्रतिशत श्रम बल को श्रम कानूनों से बाहर करने के प्रयास हैं और मालिकों को श्रमिकों का खून चूसने एवं उनका शोषण करने की इजाजत देते हैं।
सभा को सम्बोधित करते हुए पूर्व पार्षद एवं सीटू के सचिव राजेश सिंघवी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक तरफ तो 10 लाख का सूट पहन रहे हैं, दूसरी तरफ लम्बे संघर्ष व कुर्बानी के बाद मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए बने कानूना को बदल मात्र अम्बानी, अडानी की सेवा में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि देश का मजदूर, मजबूर नहीं है और वह हर दमन का जवाब देने सड़कों पर उतर चुका है। उन्होंने कहा कि देश के संविधान में शासन पर व्यक्ति सम्मानजनक जीवन की व्यवस्था करने का दायित्वा सौंपा गया है, जो न्यूनतम वेतन में संभव नहीं है, लेकिन सरकारें 18,000/-रूपये मासिक न्यूनतम वेतन करने को भी तैयार नहीं है। इससे सरकार का जनविरोधी चेहरा बेनकाब हो जाता है।
सीटू के पीएल श्रीमाली ने कहा कि आर एस एस के मजदूर संगठन बी.एम.एस. ने हड़ताल विरोधी निर्णय कर मजदूरों की पीठ में छूरा भोंकने का काम किया है और उनके इस निर्णय से साफ जाहिर है कि वह राष्ट्रभक्त न होकर मोदीभक्त हैं। सभा को सम्बोधित करते हुए एटक के सुभाष श्रीमाली ने कहा कि जो आज तक बंद और हड़ताल की राजनीति करते रहे हैं, उनके लिए सत्ता में आते ही यह कार्यवाहियां विकास विरोधी हो जाती है? केन्द्र सरकार से मांग की कि वो श्रमिक संगठनों की ओर से रखे गये 12 सूत्री मांग पत्र पर शीघ्र सकारात्मक कदम उठाते हुए आम जनता, मजदूर वर्ग को राहत पहुचावे अन्यथा जनता फिर से सड़कों पर उतरेगी और चक्काजाम भी करेगी।