कार्यशाला का समापन
उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के हवाला गांव स्थित शिल्पग्राम में आयोजित म्यूजिकल इंस्ट्रूमेन्ट वर्कशॉप सोमवार को सम्पन्न हुई जिसमें कला कृतियों को रूप लिये पत्थर अब बोलने लगे हैं। कार्यशाला में सृजित वाद्य यंत्र जहां देखने में सुंदर लग रहे हैं वहीं ऐसा लगता है मानों इन्हे साजिन्दे के हाथों की तलाश हो।
शिल्पग्राम के कला विहार में आयोजित समापन अवसर पर केन्द्र निदेशक फुरकान खान ने कृतियों सृजन के लिये प्रतिभागी कलाकारों की अभिशंसा करते हुए कहा कि इन कृतियों से शिल्पग्राम को एक नया लुक मिलेगा। उन्होंने कहा कि शिल्पग्राम में निरन्तर नये-नये आयाम जोड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में संगीत के वाद्य यंत्रों के प्रतिरूप यहां आने वाले सैलानियों के लिये नया आकर्षण होंगे।
17 अगस्त से चल रही इस कार्यशाला में गुजरात के प्रतीक मिस्त्री व शिव वर्मा तमिलनाडु के राम कुमार कन्नड़ासन, महाराष्ट्र के योगेश लोखण्डे व वैभव मारूति मोरे तथा उदयपुर के शिल्पकार पुष्पकांत त्रिवेदी व रोकेश कुमार सिंह पाषाण शिलाओं में सुर तान छेड़ने वाले साजों की आकृतियां तराशी हैं।
कार्यशाला में वैभव मारूति मोरे व योगेश लोखण्डे द्वारा सृजित प्यानो बरबस देखते ही बनता है, प्रतीक मिस्त्री का रणसिंगा रण भेरी के नाद का अहसास करवाता है, राम कुमार का एकोर्डियन सुरों के साथ झूमने की अनुभूति देता है। शिव वर्मा का चोण्डका तीन अलग-अलग आकारों में सुर छेड़ने को बेताब है, पुष्पकांत का सितार व रोकेश कुमार का सरोद प्रख्यात संगीतज्ञ रवि शंकर और शिवकुमार शर्मा की स्मरण करवा रहा है।
ये कृतियां आगामी दिनों में शिल्पग्राम में स्थापित होगी और पर्यटकों को एक सेल्फी या ग्रुपी लेने को लालयित करेंगी। समापन पर प्रतिभागी कलाकार वैभव मारूति मोरे तथा शिव वर्मा ने अपने उद्गार प्रकट करते हुए कहा कि आमतौर पर कार्यशालाओं में पत्थर ले कर वे स्वतंत्रता से अपनी कल्पनाओं को मूर्त रूप देते हैं पर पहली बार वाद्य यंत्रों को बनाने का अनुभव रोचक और सीखने वाला रहा। इस अवसर पर प्रतिभागियों को पुष्प कलिका व स्मृति चिन्ह भेंट किये गये।