तेरापंथ भवन में तपस्वी बच्चों का सम्मान
उदयपुर। यदि हम बारह व्रतों जीव की रक्षा करना, झूठ नहीं बोलना, चोरी नहीं करना, संतोषी रहना, परिग्रह से दूर रहना, दिशाओं का सीमांकन करना, तय सीमा में पदार्थों का उपभोग करना, हिंसा नहीं करना, सामायिक करना, छोटे-बड़े त्याग करना, उपवास करना और साधु-साध्वी को शुद्ध वस्तु का दान देने को स्वीकार कर आगे बढ़ेंगे तो निश्चय ही आत्म कल्याण की ओर बढ़ सकते हैं।
वे रविवार के श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा एवं तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में तेरापंथ भवन में आयोजित बारह व्रत कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं। इस दौरान आचार्य महाश्रमण का गुवाहाटी से बारह व्रती कार्यशाला पर उद्बोधन प्रसारित किया गया।
उन्होंने कहा कि प्रत्याख्यान करने से कर्मों की निर्जरा होती है। अध्यात्म अपने जीवन में महत्वपूर्ण है। आज युवक त्याग से घबराते हैं। सम्पूर्ण त्याग नहीं करते। अंशमात्र त्याग करने वाला भी श्रावक कहलाता है। उन्होंने युवकों के लिए अलग से कार्यशाला करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि त्याग करने में हमें गलियां नहीं निकालनी हैं।
बारह व्रत अभियान के संयोजक अभिषेक पोखरना ने कहा कि बारह व्रतों में से हममें से कई श्रावक-श्राविकाएं सभी बारह का तो कुछ कई व्रतों का पालन कर रहे हैं। हमें आचार्य प्रवर के निर्देशानुसार बारह व्रती बनने का संकल्प करना है जिसका देश भर में डेटा बैंक तैयार किया जा रहा है।
स्वागत उद्बोधन में सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने कहा कि बारह में से हम जितने भी व्रतों का पालन कर सकें, उस बारे में शपथ पत्र भरें। मंगलाचरण शशि चव्हाण एवं ग्रुप ने किया। संचालन तेयुप मंत्री राजकुमार कच्छारा ने किया। आभार तेयुप अध्यक्ष राकेश नाहर ने व्यक्त किया।
तपस्वी बच्चों का सम्मान : कार्यक्रम में संवत्सरी पर उपवास करने पर 8 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का सम्मान किया गया। इनमें वैभवशाली फत्तावत, युति सिंघवी, नीरज हिरण, दृष्टि भंडारी, संभव छाजेड़, प्रज्ञ सिंघवी, अनुष्का नाहर, जैनम चव्हाण, आदिश बड़ाला, तन्वी बड़ाला, काव्य बाबेल, काव्य कदमालिया एवं झीनू पोरवाल शामिल हैं। इसके अलावा पर्यूषण पर्व के दौरान आयोजित विभिन्न स्पर्धाओं के विजेताओं, उपविजेताओं को भी सम्मानित किया गया।