स्कूली बच्चों ने अद्भुत चित्रों और कला के माध्यम से रचे खुशी के रंग
उदयपुर। ओ री चिरैया .. नन्हीं सी गुडिया, अंगना में फिर आ जा रे, बाल विवाह अभिषाप है, बालिका को भी पढने का अधिकार है, सारी उम्र हम, मर मर के जी लिये और कहीं दहेज विरोधी नाट्य जैसे संदेशों से शहर के 10 प्रमुख पर्यटन स्थल और चौराहे बुधवार को विशेष आकर्षण का केन्द्र रहे।
अवसर था हिन्दुस्तान जिंक के अभियान खुशी वंचित बच्चों के प्रति आम जनता में जागरूकता के लिए खुशी कार्यक्रम का। इन जगहों से जो भी गुजरा उसने रूक कर ना सिर्फ बच्चों द्वारा कला के माध्यम से दिए जाने वाले संदेश को समझा बल्कि संदेशात्मक हास्य और भावुक प्रभावी प्रस्तुति के कारण उसमें गहरी रूचि भी दिखाई।
वंचित बच्चों के प्रति बच्चों और बड़ों की सोच को सृजनात्मक रूप देने के लिये आयोजित खुशी कार्यक्रम में जहां शहर के 10 प्रमुख स्कूलों के बच्चों ने रंगो के माध्यम से भ्रूण हत्या, बाल विवाह, बाल उत्पीडन, बाल भिक्षावृत्ति, बालिका सुरक्षा, चाइल्ड टेªफिकींग, बाल मजदूरी, बच्चों में कुपोषण एवं बाल शिक्षा पर अपने मन की भावानाओं और सोच के अनुरूप केनवास पर रंगों के माध्यम से चित्रों में उकेरा, वहीं स्कूली बच्चों ने नुक्कड़ नाटक, कविता, फैन्सी ड्रेस, गीत संगीत और बैण्ड के जरिये पूरी उर्जा से बड़ों को संदेश दिया।
दिल्ली पब्लिक स्कूल ने सुखाडिया सर्कल, केन्द्रीय विद्यालय ने विज्ञान कॉलेज के बाहर, सिडलिंग स्कूल ने फतहपुरा पुलिस चौकी के बाहर, रेयान इण्टरनेशनल ने गुलाब बाग के मुख्य द्वार, द स्टडी ने आरके मार्बल के बाहर, बोहरा यूथ स्कूल ने कलेक्ट्रेट के सामने, डीएवी ने जिंक कार्यालय के बाहर, सेन्ट मैरी ने सहेलियों की बाडी, विद्याभवन ने चेतक सर्कल एवं सेंट मैथ्यूज के बच्चों ने पंचवटी पर प्रातः 9 बजे से 12.30 तक अपनी प्रस्तुति एवं कला के मंचन से लोगो का ध्यान आकर्षित कर आने जाने वाले हर एक व्यक्ति को उन विषयों के प्रति सोच कर कुछ करने के प्रण के लिये प्रतिबद्ध कर दिया।
खुशी अभियान के फाउण्डर पवन कौशिक ने बताया कि भारत में डिजिटल इण्डिया, क्लीन इण्डिया, मेक इन इण्डिया के साथ साथ ह्यूमन रिसोर्स इन इण्डिया पर भी फोकस करना होगा। हिन्दुस्तान जिंक द्वारा खुशी अभियान के प्रति लोगो में ज्यादा से ज्यादा सोच जगाने के लिये ऐसे कार्यक्रम आयोजित किये जाते रहे हैं। खुशी अभियान का उद्देश्य वंचित बच्चों के सम्पूर्ण विकास के प्रति एक जैसी सोच रखने वाले लोगों को साथ लेकर बदलाव लाने की दिशा में एक मुहिम है।
कौशिक ने बताया कि एक सप्ताह के दौरान 10 स्कूलों के करीब 3 हजार बच्चों से मिलकर उन्हें वंचित बच्चों के प्रति सकारात्मक सोच एवं खुषी अभियान के उद्धेश्यों के बारे मे अवगत कराया गया। जिसके बाद सभी 10 स्कूलों से कक्षा 6 से 12वीं तक के बच्चों ने चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लिया, साथ ही हर स्कूल की करीब 20 बच्चों की टीम ने अलग अलग सांस्कृतिक प्रस्तुति से संदेश दिया जिनके विषय खुशी अभियान के तहत निर्धारित किये गये थे।
प्रत्येक स्कूल द्वारा खुशी अभियान के इस कार्यक्रम में प्रतिभागी बच्चें को प्रोत्साहन स्वरूप पुरस्कृत किया जाएगा साथ ही श्रेष्ठ चित्रकारिता का चयन 5 सदस्यीय ज्यूरी द्वारा किया जाएगा। ज्यूरी के सदस्यों ने सभी स्थलों पर जा कर बच्चों का उत्साह वर्धन किया। सभी बच्चों द्वारा बनाई गई पेंटिंग को ज्यूरी के समक्ष प्रदर्शनी के तौर पर रखकर प्रत्येक विषय में 3 श्रेष्ठ का चयन होगा जिन्हें पुरस्कृत किया जाएगा। खुशी पेंटिंग कार्यशाला और बच्चों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम का उद्देश्य उदयपुर की आम जनता को वंचित बच्चों के प्रति जागरूक करना है जिसमें शहरवासियों की खासी रूचि देखने को मिली।