उदयपुर। जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक माश्रम के संस्कृत विभाग की ओर से योग पर सेमीनार हुआ। मुख्य वक्ता लकुलीश योग विश्वविद्यालय अहमदाबाद के पूर्व कुलपति प्रो. बंशीधर उपाध्याय थे।
उपाध्याय ने कहा कि योग धर्म, आस्था एवं अंधविश्वास से परे है। योग एक सीधा विज्ञान है। योग ही जीवन जीने की कला है। उन्होने कहा कि भारतीय दर्शन एवं धर्म में योग का बहुत अधिक महत्व है। मानव जीवन में आध्यात्मिक, धार्मिक एवं मानसिक स्वास्थ के लिए योग का अत्यधिक आवश्य है। उन्होने कहा कि आज के युग में योग का महत्व ओर अधिक बढ़ गया है। मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि आज योगासन को योग का पर्याय माना जा रहा है जबकि योग से तात्पर्य जीवात्मा एवं परमात्मा के एकीकरण से है जो मनसा, आध्यात्मिक एवं साधना से ही प्राप्त किया जा सकता है और योगासन योग साधना के लिए शरीर एवं मन को स्वस्थ रखता है। अध्यक्षता डीन प्रो. सुमन पामेचा ने की। विभागाध्यक्ष डॉ. धीरज प्रकाश जोशी ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन डॉ. कुसुमलता टेलर ने किया जबक धन्यवाद डॉ. अपर्णा त्रिपाठी ने दिया।