लगातार पेशाब आने की समस्या से थी पीडि़त
उदयपुर। पाली जिले के देसूरी के आना गांव की 58 वर्षीय रत्नी बाई 30 सालों से लगातार बच्चा होने के रास्ते से पेशाब आने की शिकायत के चलते परेशान थी। यह समस्या उसे बच्चे के जन्म के बाद से ही शुरू हो गई थी। इसे छुटकारा दिलाया पीएमसीएच की टीम ने।
प्रसव की जटिलता से उसके पेशाब की थैली एवं बच्चे के रास्ते के बीच कई छेद हो गए थे। परिणाम स्वरूप उसके सामान्य रास्ते से पेशाब न आकर लगातार बच्चे के रास्ते से पेशाब बहता था। पेशाब की बदवू और सदैव उसके गीलें होने से स्वयं रत्नीबाई ही नहीं बल्कि उसके परिजन भी परेशान थे। मेडिकल की भाषा में इस समस्या को वीवीएफ कहतें है। जिसके कारण घर के कामों के साथ साथ कोई भी दूसरा काम करने में असमर्थ थी। घर वालों ने भी कई जगह दिखाया लेकिन कोई फायदा नहीं मिला। गरीब होने के कारण परिजन इलाज कराने में असमर्थ थे। लेकिन समस्या ज्यादा होने के कारण 13 साल पहले जमीन बेच कर उसके इलाज के लिए गुजरात ले गए जहां रत्नीबाई का दो बार ऑपरेषन किया लेकिन कोई फायदा नहीं मिला इन दोनो ही ऑपरेशन में लगभग तीन लाख रूपए खर्च हो गए। इसके वावजूद भी यह समस्या यों कि त्यों ही बनी रही । परिजन हिम्मत करके उसे पेसिफिक मेडीकल कॉलेज एवं हॉस्पीटल लेके आए जहां उन्होने यूरोलॉजिस्ट एवं रिकन्स्ट्रक्श नल सर्जन डॉ. हनुवन्त सिंह राठौड़ को दिखाया। डॉ. राठौड़ ने रत्नीबाई की सिस्टोस्कॉपी की तो पाया कि पेशाब की थैली एवं बच्चे के रास्ता आपस में आठ से दस जगह से जुड़ा हुआ है इसे जिसका आपरेशन से ही इलाज सम्भव था। लगभग तीन घण्टे तक चले इस सफल ऑपरेशन को यूरोलॉजिस्ट एवं रिकन्स्ट्रक्षनल सर्जन डॉ. हनुवन्त सिंह राठौड, डॉ. प्रकाश औदित्य, डॉ. समीर गोयल, डॉ. पायल, अजय चौधरी एवं चन्द्रमोहन शर्मा की टीम ने अंजाम दिया।