राजस्थान विद्यापीठ देश-विदेश से जुटे 1200 से अधिक फिजियोथैरेपिस्ट
दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सेमीनार
उदयपुर। आज के तकनीकी युग में व्यक्ति की जीवन शैली बदल गई है जिससे व्यक्ति किस न किसी रोग से अवश्य ही ग्रसित हो जाता है और बदलते परिप्रेक्ष्य में अपने आप को अगर एक्टिव रखना है तो उस समय फिजियोथेरेपिस्ट की आवश्यकता होती है और यह हमारे जीवन का अंग बन गया है चाहे वे डाक्टर हो या योगा टीचर। व्यक्ति जब काम करते करते रूक जाता है, व्यक्ति का हाथ-पैर या शरीर का कोई अंग किसी बीमारी के कारण काम करना बंद कर देता है तब भी फिजियोथेरेपिस्ट की आवश्यकता होती है, इसके द्वारा बिना दवा के किसी भी बिमारी को थेरेपी एवं व्यायाम द्वारा ठीक किया जा सकता है।
ये विचार शनिवार को जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विवि के संघटक फिजियोथैरेपी महाविद्यालय की ओर से आयोजित दो दिवसीय द्वितीय अन्तर्राष्ट्रीय फिजियोथैरेपी संगोष्ठी पर उच्च शि़क्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने बतौर मुख्य अतिथि कही। माहेश्वरी ने कहा कि महिला दिवस पर बड़े-बड़े भाषण दिये जाते है, समारोह आयोजित कर इन्हें आगे लाने की बात कही जाती है लेकिन होता कुछ नहीं है। इस ओर ठोस कदम उठाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार से बारहवीं तक की शि़क्षा छात्राओं को निशुल्क दी जाती है, और अब उच्च शिक्षा कें इस तरह के प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। जब तक छात्राएं उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा मे आगे नहीं आयेगी तब तक वह अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकती। यह काम कोई एक व्यक्ति नहीं कर सकता, इसके लिए समाज एवं निजी विश्वविद्यालयो को आगे आना होगा। अध्यक्षता कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने की। प्राचार्य डॉ. शैलेन्द्र मेहता ने अतिथियों का स्वागत करते हुए दो दिवसीय सेमीनार एवं तकनीकी सत्रों की जानकारी दी। संचालन डॉ. प्रज्ञा भट्ट ने किया।
विमोचन : समारोह में अतिथियों द्वारा आयोजन सचिव एवं प्राचार्य डॉ. शैलेन्द्र मेहता द्वारा सम्पादित पुस्तक मैनेजमेंट ऑफ लिम्फेडिमा एवं संगोष्ठी की सोविनियर का विमोचन किया गया।