तीन दिवसीय सिद्धचक्र विधान सम्पन्न
उदयपुर। मुनिश्री डॉ. प्रणाम सागर महाराज ने कहा कि बालक के जन्म पर मां बहुत खुश होती है। सन्त की दीक्षा पर पूरा समाज खुश होता है लेकिन तीर्थंकर के जन्म से तीनों लोकों में खुशियां छा जाती है।
वे आदिनाथ दिगम्बर जैन चेरिटेबल टस्ट द्वारा नगर निगम प्रांगण में आयोजित किये जा रहे तीन दिवसीय सिद्धचक्र महामण्डल विधान के अंतिम दिन तथा भगवान महावीर जयंति के के अवसर पर आयोजित धर्मसभा में उपस्थित श्रावकों को संबोधित कर रहे थे।
मुनिश्री ने कहा कि मन्दिर चाहे कितना ही बड़ा हो प्रात: 10 बजे बाद खाली- खाली हो जाता है। वहां पर दिखते हैं बस पण्डितजी या पुजारी जी। लेकिन सन्त जहां भी होते हैं उस स्थान पर 24 घंटे श्रावकों की भीड़ लगी रहती है। दीपावली का त्यौहार दो दिन का, होली का त्योहार दो दिन का, रक्षा बन्धन का त्यौहार भी चाहे दो दिन का मना लें लेकिन जहां पर सन्तों का चातुर्मास होता है वहां पर चारों महीनों त्यौहार मनता है। मुनिश्री ने कहा कि बिना जन्म दिये महिला को मां को दर्जा नहीं मिल पाता, उसी तरह बिना सन्तों के चातुर्मास के समाज समाज नहीं कहला सकता।
टस्ट के अध्यक्ष अशोक शाह ने बताया कि सिद्धचक्र महामण्डल विधान के अन्तर्गत प्रात: साढ़े छ: बजे जिनाभिषेक, शान्तिधारा, नित्य पूजन, विधान पूजन आयोजित किया गया। मुनिश्री का पाद प्रक्षालन, दीप प्रज्वलन सहित विभिन्न धार्मिक आयोजन हुए। शाम को आनन्दयात्रा,प्रतिष्ठाचार्य द्वारा शास्त्र स्वाध्याय, गर्भकल्याणक के दृश्य,कुबेर आगमन, नगरी रचना,माता की सेवा, अष्ट कुमारिकाओं द्वारा माता का शयन एवं 16 स्वप्रों का प्रदर्शन किया गया। साथ ही विधान में बैठे सभी इन्द्र-इन्द्राणियों ने आहूतियों के साथ ही भगवान को अघ्र्य समर्पित किये। श्रावक-श्राविकाओं तथा विधानधारियों ने भक्ति गीतों की मधुर धुनों पर खूब भक्ति नृत्य किये।
चातुर्मास के लिए अर्पित किये श्रीफल:-विधान के दौरान हुई धर्म सभा के दौरान डॉ. मुनिश्री प्रणामसागरजी महाराज को चातुर्मास के लिए उदयपुर हुमड़ भवन एवं बांसवाड़ा समाज की ओर से श्रीफल भेंट कर विनती की गई। शाह ने बताया कि इससे पूर्व आयोजित एक शाम महावीर के नाम संास्कृतिक संध्या में इन्दौर के मयूर एण्ड पार्टी द्वारा भगवान महावीर के भजनों की प्रस्तुति दे कर माहौल को पूर्ण भक्तिमय बना दिया।