उदयपुर। गणिनी आर्यिका 105 सुप्रकाशमति माताजी ने कहा कि जीवन में यदि उन्नति और आत्म साधना चाहते है तो उसके लिए सर्व्रप्रथम लक्ष्य निर्धारित करना होगा।
वे आज पायड़ा में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जीवन में शान्ति होने पर मनुष्य आत्मा के स्वरूप को पहचानने की ओर अग्रसर हो सकेगा। इसके लिए मनुष्य को नित्य नियम,देवपूजा, गुरू भक्ति एवं गुरू उपासना करनी हागी। बिना गुरू के ज्ञान प्राप्त किया जाना संभव नहीं है। उन्होेंने कहा कि मनुष्य को जीवन की सारणी बना कर लक्ष्य निर्धारित करना होगा। गुरू को माध्यम बनाकर जीवन के मार्ग को प्रशस्त करना होगा।
पायड़ा संघ के अध्यक्ष सुरेश पदमावत ने कहा कि संस्कार यात्रा 16 जून को आयड़ क्षेत्र के लिए प्रातः 6 बजे प्रस्थान करेगी। जहंा आयड़ पंहुचने पर दिगम्बर जैन मन्दिर द्वारा स्वागत किया जाएगा। इससे पूर्व प्रातः 6 बजे आज हिरणमगरी से.4 से संस्कार यात्रा पायड़ा के लिए प्रारम्भ हुई जिसका ठोकर चौराहे पर स्वागत किया गया। यात्रा बाद में पायड़ा जैन मन्दिर पंहुची जहंा समाजसेवी सुरेन्द्र दलावत एंव अन्य समाजजनों द्वारा स्वागत किया गया। वहां माताजी की निश्रा में जिनेन्द्र देव का अभिषेक किया गया।