उदयपुर। सार्वजनिक प्रन्यास मन्दिर श्री महाकालेश्वर में अमावस्या पर गौ-माता के गले में रूद्राक्ष, कौड़ी, मोती, घण्टी की गौ माताओं का मालाएं धारण कराई गई एवं गोमाता को मोती चूर के लड्डू, केला एवं घास, लापसी खिलाई।
श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण महोत्सव के तहत् दस हजार एक श्विलिंग पंचकोण के स्वरूप में महाकालेश्वर महादेव विराजित हुए। पंचकोण अर्थात् स्टार, यह व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारता है। शुक्रग्रह कुण्डली में ओज, प्रतिभा, सौन्दर्य और ऐश्वर्य का कारक होता है। प्रत्येक मानव अपने जीवन की उन्नति के लिए प्रयत्नशील रहता है। वह इसके लिए कोई न कोई उपाय करने के लिए प्रयत्न करता है। जीवन में उन्नति एवं पदप्राप्ति, धनप्राप्ति एवं ऐश्वर्य, सुख-शान्ति आदि के लिए पार्थेश्वर के इस स्वरूप की पूजा की जाती है जिससे व्यक्ति अपने जीवन की उन्नति एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति कर सकता है।प्रत्येक व्यक्ति के व्यक्तित्व का अपना एक स्टार होता है। जो उसके जीवन काल के विकास का निर्धारण करता है। स्टार रूवरूप शुक्रग्रह व्यक्ति के जीवन को उसके कर्मो के अनुसार उसे सुख एवं सम्पति का स्थान देता है। इस पूजा से शुक्रग्रह प्रसन्न होकर उसके जीवन में सुख, सम्पति एवं उन्नति के मार्ग को प्रशस्त करता है। यह जानकारी पार्थेश्वर पूजा के आचार्य प.महेश देव, नीरज आमेटा ने दी। आज गंगा घाट पर हरिओम महिला सत्संग मण्डल की ओर से गंगा आरती की गई।