उदयपुर। नारी कल्याण, स्वालम्बन एवं सशक्तिकरण को समर्पित एवं राष्ट्रपति पुरूस्कार से सम्मानित गृह उद्योग प्रतिष्ठान की संस्थापिका 86 वर्षीय श्रीमती दुर्गा देवी का बीती रात निधन हो गया।
कोटा जिले के भवानीमण्डी में 11 अक्टूबर 1932 को संस्कार परिवार में जन्म लेने वाली श्रीमती दुर्गा देवी का विवाह 1948 में शिक्षक एवं पत्रकार रहे स्व. रामकृष्ण शर्मा से हुआ। 1971 में अपने जीवनसाथी के आकस्मिक निधन होने से पूरे परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाते हुए श्रीमती दुर्गा देवी ने महिला मण्डल में 1971 में अपना कार्य प्रारम्भ किया। महिला मण्डल के संस्थापक स्व. दयाशंकर क्षोत्रिय ने दुर्गा देवी के बखूबी कार्य संचालन को देखते हुए उन्हे ं1973 में महिला गृह उद्योग प्रतिष्ठान की बहुत बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जिसका वे जीवन के अंतिम समय तक बखूबी संभालती रही।
श्रीमती दुर्गा देवी ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए विधवा, परित्यक्ता, निराश्रित, असहाय, विकलांग, अशिक्षित, प्रति प्रताड़ित को महिलाओं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने हेतु इस प्रतिष्ठान से जोड़ा ओर उनका जीवन जीने योग्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
अपने कुशल एवं दक्ष संचालन के कारण इसमें कार्यरत महिलाओं द्वारा तैयार किये गये गृह उद्योग के उत्पाद पापड़, मसाले, मुंगेंड़ी, शर्बत, सॉस, अचार ने क्षेत्रीय एवं राज्य की सीमाओं को लांघकर देश-विदेश में अपनी पहिचान बनाने में ग1णवतता के कारण कामयाबी हासिल की। इसका सबसे बड़ा उदाहरण इस बात से मिलता है कि यूनेस्को की टीम ने गृह उद्योग प्रतिष्ठान की परियोजना को विश्व की दस श्रेष्ठतम परियोजनाओं में शामिल किया। इसका सम्पूर्ण श्रेय श्रीमती दुर्गा देवी शर्मा को जाता है जिनके कुशल प्रबंधन,संवदेनशीलता,लगन और प्रतिबद्धता के कारण यह संभव हो पाया। श्रीमती दुर्गा देवी को उनके नारी कल्याण एवं महिला सशक्तिकरण कार्यो के लिये वर्ष 2005 में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अबुल कलाम आजाद ने महिला मण्डल उद्वोग को महिला स्वावलम्बन,गरीबी उन्मूलन एवं समाज सुधार की श्रेष्ठ संस्था के रूप में राष्ट्रीय पुरूस्कार से सम्मानित किया। दुर्गा देवी अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गयी है। इनके ज्येष्ठ पुत्र वरिष्ठ अधिवक्ता सी.पी.शर्मा हैं।